(तस्वीर के साथ)
पुरी (ओडिशा), चार दिसंबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को आयुर्वेद में कई रोगों का इलाज मौजूद होने को रेखांकित करते हुए उसमें सघन अनुसंधान की जरूरत पर बल दिया।
यहां गोपबंधु आयुर्वेद महाविद्यालय के 75 वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि योग और प्रकृति से जुड़े रहकर व्यक्ति आजीवन रोगमुक्त रह सकता है।
राष्ट्रपति ने आयुर्वेद के विद्यार्थियों से अनुसंधान करने का आह्वान करते हुए कहा,‘‘अनुसंधान किसी भी प्रद्धति को वैज्ञानिक आधार देने में सक्षम है। सबूत से लोगों में विश्वास का वातावरण बनता है और इसी विश्वास से स्वीकार्यता के मार्ग में विस्तार होता है।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ खास रोगों के उपचार के लिए आदिवासियों के बीच प्रचलित उपचार पद्धति के बारे में पता है। उन्होंने कहा कि कुछ बुजुर्ग जनजातीय लोग विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के लिए आवश्यक जड़ी-बूटियों के बारे में जानते हैं।
ओडिशा के मयूरभंज जिले में संथाल समुदाय से संबंधित मुर्मू ने कहा, ‘‘ लेकिन पारंपरिक ज्ञान धीरे-धीरे गायब हो हो रहा है। मैं आशा करती हूं कि आपमें से कुछ को उस उपचार के वैज्ञानिक आधार को खंगालने में दिलचस्पी होगी। ऐसा कर इस पद्धति को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है और वह समाज के लिए लाभप्रद भी हो सकता है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि वह विद्यार्थियों एवं अनुसंधानकर्ताओं का ध्यान राज्य संग्रहालय में संजोकर रखी गयीं ताड़पत्र पांडुलिपियों की ओर आकृष्ट करना चाहेंगी जिनमें आयुर्वेद के बारे में कई सूचनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि कई लोगों के घरों में भी ताड़पत्र पांडुलिपियां हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ साहित्य के अलावा ताड़पत्र पांडुलिपियों में चिकित्सा पद्धतियों का विवरण है। इस दिशा में मैं आशा करती हूं कि आप अनुसंधान कर इस छिपी हुई उपचार पद्धति को लोगों के सामने लाने की चेष्टा करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि अब दुनियाभर में लोग योग और आयुर्वेद सीखने के लिए इच्छुक हैं।
मुर्मू ने ‘रोगमुक्त रहने के लिए योगयुक्त रहने’ का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘संतुलित आहार अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। योग बीमारियों को दूर रखने में मदद कर सकता है।’’
आयुर्वेद में कई रोगों का इलाज होने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विद्यार्थी आयुर्वेद में सघन अनुसंधान को अपनाएं।
इस कार्यक्रम को ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और अन्य ने भी संबोधित किया।
भाषा राजकुमार नरेश
नरेश
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