President Droupadi Murmu on Constitution Day: देश में आज 26 नवंबर को सविंधान दिवस यानी कॉन्स्टिट्यूशन डे मनाया जा रहा है। हर साल 26 नवंबर के दिन यह दिवस मनाया जाता है। यह वह दिन है जो भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. बी आर अंबेडकर के जीवन का जश्न मनाता है। संविधान दिवस के मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस के अवसर पर विशेष स्मारक सिक्का भी जारी किया। इसके अलावा संविधान दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति ने संस्कृत भाषा में संविधान की प्रति का विमोचन भी किया।
संविधान दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “संविधान दिवस के पावन अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। आज हम सब एक ऐतिहासिक अवसर के भागीदार बन रहे हैं।पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं। गरीबों को अपना घर मिल रहा है और देश में विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा रहा। 75 साल पहले संसद के इसी कक्ष में देश के संविधान के निर्माण का बहुत बड़ा काम संपन्न किया और उसी दिन इस संविधान को अपनाया गया। संविधान हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों की आधारशिला है। आज कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। बाबा आंबेडकर ने संविधान सभा का नेतृत्व किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘भारत लोकतंत्र की जननी है। इसी भावना के साथ हम इस विशेष अवसर पर इकट्ठा हुए हैं। हमें उन अधिकारियों के अमूल्य योगदान को भी याद रखना चाहिए, जिन्होंने नेपथ्य में रहकर काम किया और देश के संवैधानिक मूल्यों को मजबूती दी, जिनमें प्रमुख भूमिका बीएन राव की थी, जो संविधान सभा के सलाहकार थे। आगामी 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ बनाएंगे। ऐसे समारोह हमारी राष्ट्रीय एकता को दर्शाते हैं। हमारी संविधान सभा में देश की विभिन्नता में एकता प्रदर्शित हुई थी।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा, कि आज जिन पुस्तकों का विमोचन किया गया, उनमें लोगों को हमारे संविधान निर्माण के गौरवशाली इतिहास के बारे में पता चलेगा। हमारा संविधान कई वर्षों की मेहनत से बना, लेकिन ये हमारी आजादी की लड़ाई का परिणाम था। संविधान में भारत के आदर्शों, न्याय, स्वतंत्रता और समानता को भी परिलक्षित किया गया है।’ ‘संविधान की भावना के अनुसार, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि वे लोगों की भलाई के लिए मिलजुलकर काम करें। देश के आर्थिक एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि, नारी शक्ति वंदन अधिनियम से एक नए युग की शुरुआत की गई। सरकार ने सभी वर्गों खासकर पिछड़े वर्ग की भलाई के लिए कई कदम उठाए हैं। गरीब लोगों को पक्का घर, बिजली पानी सड़क की सुविधा मिल रही है। चिकित्सा सेवाएं मिल रही हैं और देश में बड़े पैमाने पर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है। इन प्रयासों के लिए मैं सरकार की सराहना करती हूं।’ ‘न्यायपालिका, विचाराधीन कैदियों के कल्याण के लिए भी प्रयासरत है। कम संसाधन युक्त लोगों को न्याय मुहैया कराने की सुविधा बढ़ रही है। इससे हमारे संवैधानिक अधिकारों को शक्ति मिलती है। समाज में समरसता का निर्माण करना, महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करना और पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम हो रहा है।
राष्ट्रपति ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को याद करते हुए कहा कि ‘संविधान सभा के दूरदर्शी सदस्यों ने एक प्रेरणादायक संविधान दिया, जो अन्य देशों के लिए भी आदर्श है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने आज ही के दिन कहा था कि संविधान को जीवंत बनाए रखना उन लोगों पर निर्भर करता है, जो उसका संचालन करते हैं। जो संविधान में नहीं लिखा जाता उनका संचालन परंपराएं करती हैं। अब तीन चौथाई संविधान यात्रा के बाद देश ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। आने वाली पीढ़ियों को इन सफलताओं से अवगत कराया जाना चाहिए।’ राष्ट्रपति ने कहा कि, ‘मैं सभी देशवासियों से अनुरोध करती हूं कि वे संवैधानिक मूल्यों को अपने आचरण में डालें। संविधान दिवस की हार्दिक बधाई, जय हिंद, जय भारत।’