देहरादून: बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने का सरकार करने वाली उत्तराखंड सरकार की पोल उस वक्त खुल गई जब पता चला कि इस गांव में पहुंचने के लिए सड़क तो दूर पगडंडी भी नहीं है। वहीं, सरकार ने बीते दिनों दूर-दराज वाले इलाक़ों में जल्द से जल्द पहुंचने के लिए हैलि एंबुलेंस भी शुरू करने का दावा किया है। इन पहाड़ों के बीच बसे गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं से कहीं ज्यादा सड़कों की जरूरत है। इन गांवों में स्वास्थ्य सुविधा के आभाव में कम बल्कि समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के चलते लोगों की ज्यादा मौत होती है।
ऐसा ही एक वाकया सामने आया है देहरादून की चकराता तहसील के बुरायला गांव से, जहां एक महिला ने 9 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के दौरान महिला की तबियत बिगड़ने लगी। इसके बाद हालात को देखते हुए ग्रामीणों ने उसे अस्पताल ले जाने का फैसला लिया।
ग्रामीणों ने बांस बांधकर एक पालकी जैसी बनाई और इस पालकी मे लिटाकर अस्पताल ले जाने लगे। महिला को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। यह रास्ता न सिर्फ़ ख़तरनाक है बल्कि थकाऊ भी है, न सिर्फ़ बीमार को लेकर चलने वालों के लिए बल्कि बीमार के लिए भी।
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मुख्य मार्ग तक पहुंचने के बीमार महिला को किसी तरह वाहन के सहारे सीएचसी साहिया में पहुंचाकर भर्ती करवाया गया, लेकिन वहां भी स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण उसे रेफर कर दिया गया।
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