नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता में खतरनाक स्तर पर आई गिरावट को रेखांकित करते हुए सोमवार को गंभीर प्रदूषण स्तर के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए घर से काम करने, काम के घंटे अलग-अलग करने और सभी कार्यालय भवनों में एयर प्यूरीफायर लगाने की मांग की।
सीएसएस फोरम ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को लिखे पत्र में कहा कि खराब वायु गुणवत्ता का कार्यस्थल की उत्पादकता पर भी उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है। इससे कर्मचारियों को श्वसन संबंधी समस्याएं, आंखों में जलन, थकान और सामान्य बेचैनी जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं।
सीएसएस फोरम द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘सभी लोगों, विशेषकर सरकारी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाना अनिवार्य हो गया है।’’
पत्र में कहा गया है कि खतरनाक वायु गुणवत्ता के लगातार संपर्क में रहने से कर्मचारियों और उनके परिवारों में श्वसन संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो रही है।
सीएसएस फोरम के महासचिव आशुतोष मिश्रा द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि प्रदूष्ण से राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले लोगों और कर्मचारियों के दैनिक जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है।
सीएसएस अधिकारी संघ ने कार्यालयों की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी भवनों में एयर प्यूरीफायर की व्यवस्था करने की भी मांग की है।
मिश्रा ने कहा, ‘‘सुनिश्चित करें कि कर्मचारियों को एन95 मास्क और अन्य आवश्यक सुरक्षात्मक उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।’’
सीएसएस फोरम सीएसएस अधिकारियों का एक प्रमुख संघ है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता सोमवार को बहुत अधिक खराब हो गई और द्वारका, मुंडका तथा नजफगढ़ जैसे क्षेत्रों में दोपहर के समय अधिकतम वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 दर्ज किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की घनी चादर छाने से लोगों ने खुजली और आंखों से पानी आने की शिकायत की। सोमवार को सुबह आठ बजे यहां का एक्यूआई 484 दर्ज किया गया। एक्यूआई इस मौसम में अब तक के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दोपहर दो बजे तक एक्यूआई 491 दर्ज किया गया।
भाषा धीरज मनीषा
मनीषा
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