प्रदूषणः हरियाणा सरकार ने उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूल अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया |

प्रदूषणः हरियाणा सरकार ने उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूल अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया

प्रदूषणः हरियाणा सरकार ने उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के स्कूल अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया

:   Modified Date:  November 16, 2024 / 10:36 PM IST, Published Date : November 16, 2024/10:36 pm IST

चंडीगढ़, 16 नवंबर (भाषा) हरियाणा सरकार ने शनिवार को उपायुक्तों को अपने-अपने जिलों में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के मद्देनजर स्थिति का आकलन करने के बाद विद्यालयों में कक्षा पांच तक की कक्षाएं अस्थायी रूप से बंद करने के लिए अधिकृत किया।

राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने 10 नवंबर को हिंदी में पोस्ट किया, ‘‘इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा गया है।’’

उसने कहा कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उपायुक्तों को कक्षा 5 तक के विद्यालयों को अस्थायी रूप से बंद करने का अधिकार दिया है।

पत्र में स्कूल शिक्षा निदेशालय ने लिखा, ‘‘मुझे आपको सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि संबंधित उपायुक्त दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गंभीर एक्यूआई स्तरों के मद्देनजर मौजूदा स्थिति (जीआरएपी के अनुसार) का आकलन करेंगे और छात्रों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के हित में विद्यालयों (सरकारी और निजी) में कक्षा 5वीं तक के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर सकते हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘संबंधित जिलों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए मूल्यांकन अलग-अलग किया जा सकता है।’’

हरियाणा के जींद में शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया, जबकि राज्य के कई अन्य हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ और ‘खराब’ स्तर में दर्ज की गई।

जींद में एक्यूआई 410, भिवानी में 392, बहादुरगढ़ में 383, पानीपत में 357, कैथल में 321, रोहतक में 309, चरखी दादरी और गुरुग्राम में 297-297, कुरुक्षेत्र में 289, करनाल में 285, पंचकूला में 227 और अंबाला में 209 रहा।

एक्यूआई 0-50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401-500 के बीच रहने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।

अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)