गुवाहाटी, चार अक्टूबर (भाषा) असमिया सहित चार अन्य भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र सरकार के फैसले का राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि वर्षों से असमिया भाषा को लेकर कई विवाद और आंदोलन हुए हैं।
शर्मा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा घोषित करके इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। इसके लिए असम के लोग हमेशा मोदी जी के आभारी रहेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कल रात उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए भारत सरकार के प्रति असम के लोगों की ओर से आभार व्यक्त किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि असमिया के साथ-साथ बंगाली को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को असमिया और बंगाली के अलावा मराठी, पाली और प्राकृत को भी शास्त्रीय भाषा घोषित किया।
असम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि असमिया को शास्त्रीय भाषा घोषित किया जाना राज्य के लोगों के लिए गर्व का क्षण है।
उन्होंने कहा, ‘असमिया हमारी मातृभाषा है और इस भूमि के बच्चों के रूप में हमें इस बात पर गर्व है कि हमारी बोली जाने वाली भाषा को शास्त्रीय भाषा घोषित किया गया है। यह कई शताब्दियों से राज्य के प्रख्यात साहित्यकारों की महान कृतियों के कारण संभव हो पाया है।’
असम जातीय परिषद के अध्यक्ष लुरिनज्योति गोगोई और महासचिव जगदीश भुइयां ने भी असमिया को शास्त्रीय भाषा घोषित किए जाने का स्वागत किया।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘यह असम के लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है। इससे असमिया भाषा के विकास और शोध में मदद मिलेगी।’
असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष कुलधर सैकिया ने कहा कि भाषा सभी मानदंडों को पूरा करती है। सैकिया के कार्यकाल के दौरान 2021 में असमिया को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
भाषा शुभम रंजन
रंजन
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