पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी बोले- आज के दिन नेताजी का ही नहीं बल्कि भारत के नए आत्म गौरव का भी हुआ था जन्म | PM Narendra Modi greets people at Victoria Memorial in Kolkata.

पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी बोले- आज के दिन नेताजी का ही नहीं बल्कि भारत के नए आत्म गौरव का भी हुआ था जन्म

पराक्रम दिवस पर पीएम मोदी बोले- आज के दिन नेताजी का ही नहीं बल्कि भारत के नए आत्म गौरव का भी हुआ था जन्म

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Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 PM IST
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Published Date: January 23, 2021 12:15 pm IST

कोलकाताः नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता पहुंचे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और नमन किया। कोलकाता प्रवास के दौरान पराक्रम दिवस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज जब इस वर्ष देश अपनी आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश करने वाला है, जब देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तब नेताजी का जीवन, उनका हर कार्य, उनका हर फैसला, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

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पीएम मोदी ने कहा कि आज जब भारत नेताजी की प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है तो हम सभी का कर्तव्य है कि उनके योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए। इसलिए देश ने ये तय किया है कि अब हर वर्ष हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे।

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पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं नेता जी की 125वीं जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें नमन करता हूं। मैं आज बालक सुभाष को नेताजी बनाने वाली, उनके जीवन को तप, त्याग और तितिक्षा से गढ़ने वाली बंगाल की इस पुण्यभूमि को भी नमन करता हूं। आज के दिन नेताजी का जन्म ही नहीं हुआ, बल्कि भारत के नए आत्म गौरव का जन्म हुआ था। पीएम मोदी ने कहा कि आज से 125 साल पहले आज के ही दिन मां भारती के गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था जिसने नए भारत के सपने को दिशा दी थी।

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उन्होंने आगे मैंने अनुभव किया है कि नेताजी का नाम सुनते ही हर कोई कितनी ऊर्जा से भर जाता है। नेताजी के जीवन की ऊर्जा जैसे उनके अंतर्मन से जुड़ गई है। उनकी ऊर्जा, आदर्श, तपस्या, त्याग देश के हर युवा के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी। आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा।

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