नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपना संबोधन दिया। पीएम के भाषण शुरू होने से पहले ही विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि, तेज नारेबाजी और हूटिंग के बीच पीएम मोदी ने विपक्ष पर जोरदार पलटवार किया। प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की योजनाओं से लेकर विकास के मुद्दे तक पर अपनी बात रखी।
इस बीच, प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार की तमाम योजना का जिक्र करते हुए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना भी साधा। पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करके गांधी परिवार पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया।
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पीएम मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु का जिक्र करते हुए गांधी परिवार पर बड़ा हमला किया। कहा, ‘600 से ज्यादा योजनाएं गांधी-नेहरू के परिवार के नाम पर हैं। अगर अब किसी कार्यक्रम में नेहरू जी का नाम नहीं प्रयोग हुआ तो कुछ लोगों का खून गर्म हो जाता था, लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति नेहरू सरनेम रखने से डरता क्यों है। क्या शर्मिंदगी है नेहरू सरनेम रखने में। इतना बड़ा महान व्यक्ति आपको और आपके परिवार को मंजूर नहीं है और आप हमारा हिसाब मांगते हो।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, यह जन-जन की पीढ़ियों से बना देश है। यह देश किसी परिवार की जागीर नहीं। हमने मेजर ध्यान चंद्र के नाम पर खेल रत्न का नाम रख दिया। हमें गर्व हो रहा है। जो लोग आए दिन हमारे देश की सेना को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ते, हमने द्वीपों को परमवीर चक्र पाने वाले वीरों के नाम पर रख दिया।
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पीएम मोदी ने कहा तमाम परियोजनाओं का जिक्र करते हुए भी कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। कहा, ‘हमने सीधे जनधन खाते में लाभार्थियों को पैसे भेजे। हम नया इको सिस्टम लाए। जिन लोगों को पुराने इको सिस्टम के फायदे मिलते थे, उनका चिल्लाना स्वाभाविक है। पहले परियोजनाएं लटकाने, भटकाने का कल्चर था। हमने टेक्नोलॉजी का प्लेटफॉर्म तैयार किया और इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट को गति देने का काम किया। योजनाएं बनाने में महीनों लगते थे, आज सप्ताहभर में योजनाएं आगे बढ़ा दी जाती हैं।
पीएम ने कहा, ‘कोई भी जब सरकार में आता है तो देश के लिए कुछ करने के वादे करके आता है। जनता का भला करने के वादे करके आता है। सिर्फ भावनाएं व्यक्त करने से बात नहीं बनती है। जैसे कभी कहा जाता था गरीबी हटाओ, चार दशक में कुछ नहीं हुआ। विकास की गति क्या है? विकास की नीयत, उसकी दिशा, प्रयास, परिणाम क्या है? ये बहुत मायने रखता है। जनता की आवश्यकताओं के लिए मेहनत करते हैं तो दबाव बढ़ता है, परिश्रम ज्यादा करना पड़ता है। गांधीजी कहते थे, श्रेय और प्रिय। हमने श्रेय का रास्ता चुना और प्रिय लगने वाला रास्ता छोड़ा। दिनरात मेहनत करेंगे, लेकिन जनता की उम्मीदों को चोट नहीं पहुंचने देंगे।