प्रधानमंत्री मोदी को आसियान-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए नए विचार पेश करने चाहिए: इंडोनेशिया की राजदूत |

प्रधानमंत्री मोदी को आसियान-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए नए विचार पेश करने चाहिए: इंडोनेशिया की राजदूत

प्रधानमंत्री मोदी को आसियान-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए नए विचार पेश करने चाहिए: इंडोनेशिया की राजदूत

:   Modified Date:  October 10, 2024 / 09:21 AM IST, Published Date : October 10, 2024/9:21 am IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) इंडोनेशिया की राजदूत इना एच. कृष्णमूर्ति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पिछले वर्ष के प्रभावशाली 12 सूत्री एजेंडे के आधार पर आसियान-भारत संबंधों को मजबूत करने के लिए नए विचार और अवधारणाएं प्रस्तुत करनी चाहिए।

‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ एक साक्षात्कार में कृष्णमूर्ति ने पिछले वर्ष आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए मोदी की इंडोनेशिया यात्रा का जिक्र किया, जहां उन्होंने दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन ‘आसियान’ और भारत के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक रणनीतिक रूपरेखा पेश की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘12 सूत्री एजेंडा एक शानदार पहल थी, जिसने हमारी साझेदारी की नींव रखी।’’

भारत अपनी ‘‘एक्ट ईस्ट’’ नीति की 10वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में राजदूत ने आशा व्यक्त की कि मोदी सहयोग को और बढ़ाने के लिए नए प्रस्ताव पेश करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनकी यात्रा का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि वह एक शानदार नेता हैं। वह आसियान को समझते हैं। उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए पूर्व में प्रस्तावित उन 12 बिंदुओं का पालन करते हुए नए विचार और अवधारणाएं सामने रखनी चाहिए।’’

मोदी ने सात सितंबर, 2023 को जकार्ता में 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में भाग लिया था।

शिखर सम्मेलन के दौरान, उन्होंने भारत-आसियान सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक 12-सूत्री प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें ‘कनेक्टिविटी’, डिजिटल परिवर्तन, व्यापार और आर्थिक जुड़ाव, समकालीन चुनौतियों के समाधान, लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने और रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के विषय पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

प्रधानमंत्री 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस के वियनतियाने के लिए रवाना हुए। भारत की ‘‘एक्ट ईस्ट’’ नीति का इस साल एक दशक पूरा हो रहा है।

एक्ट ईस्ट नीति का उद्देश्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर संपर्क के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है जिससे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंध सहित व्यापक अर्थों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके।

राजदूत ने कहा कि इंडोनेशिया अपनी विदेश नीति की अवधारणा को कायम रखता है जिसे ‘‘स्वतंत्र और सक्रिय नीति’’ के रूप में जाना जाता है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि भारत और इंडोनेशिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और प्रगति सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण साझेदार हैं।’’

भाषा सुरभि प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)