नई दिल्लीः PM Modi On Muslims लोकसभा चुनाव के लिए धुआंधार प्रचार का दौर चल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान में एक रैली को संबोधित किया। इस रैली में दिए अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 18 साल पुराने एक बयान का जिक्र कर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। दरअसल, पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह की सरकार में कहा गया था कि देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला हक है। प्रधानमंत्री ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि कांग्रेस अगर सत्ता में आई तो देश की संपत्ति ‘घुसपैठियों’ में बांटी जा सकती है। पीएम के इस बयान लेकर देश की सियासत गरमा गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेता तो सामने हैं ही। इसके अलावा राजनीति के जानकर भी इसे लेकर टिप्पणी कर रहे हैं।
PM Modi On Muslims दरअसल इस पूरे बवाल की जड़ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 2006 में दिया गया वो बयान है जिसमें दावा किया जा रहा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए ये कहा था कि देश के सारे संसाधनों पर पहला दावा मुसलमानों का है। इसी को लेकर अब अपनी सभाओं में मोदी और शाह भाजपा को लपेट रहे हैं। दरअसल, दिसंबर 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की एक बैठक को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया था। उन्होंने कहा था कि मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे की आवश्यक सार्वजनिक निवेश आवश्यकताओं के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए योजनाओं की आवश्यकता होगी। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों में विकास का फल समान रूप से साझा करने का अधिकार मिले। उस समय भी मनमोहन सिंह के बयान पर बड़ा विवाद छिड़ गया था, जिसके बाद PMO ने एक स्पष्टीकरण जारी किया था, जिसे उन्होंने पीएम के भाषण की जानबूझकर की गयी गलत व्याख्या कहा था। संसाधनों पर पहला दावा उनका होना चाहिए।
ये पहला मौका नहीं है, जब पीएम मोदी ने इस तरह से बयान दिया हो। पीएम मोदी इस प्रकार की बयानबाज़ी पहले ही कर चुके हैं तो ये मुद्दा तब उतना बड़ा क्यों नहीं बना और आज क्यों इसपर इतनी चर्चा हो रही है? कांग्रेस तो उस वक्त भी चुनाव में थी और छत्तीसगढ़ में सरकार में भी। इसका कारण जो हमें समझ आता है वो है कांग्रेस की बार बार की जाने वाली वही गलती जिसकी वजह से कांग्रेस चुनाव हारती है। भाजपा के साथ एक फायदा ये है कि वो कांग्रेस पार्टी में बैठे नेताओं की रग रग से वाकिफ है। भाजपा के ये अच्छी तरह से पता है कि कांग्रेस कब और किस चिमटी से कूदेगी और भाजपा के किस बयान को खुद तूल देकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार लेगी। इसका सबसे सटीक एग्जाम्पल है कर्नाटक का हिजाब मुद्दा और उसी दौरान हुए उत्तर प्रदेश के चुनाव। आपको याद ही होगा कि जिस समय उत्तर प्रदेश में विधानसभा में चुनाव हो रहे थे उसी दौरान कर्नाटक में एक छोटे से स्कूल से हिजाब का मामला उठा।
कांग्रेस को इस मामले में मुसलमानों में अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने का मौका दिखा और पूरी पार्टी इस मुद्दे पर कूद पड़ी। देखते ही देखते एक चिंगारी से उठा ये मुद्दा शोला बन गया और इसने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया। और शायद भाजपा कांग्रेस से यही करवाना चाहती थी। इस मुद्दे को उछालते वक्त कांग्रेस ये भूल गई कि ध्रूवीकरण की इस राजनीति में उसे फायदे से ज्यादा नुकसान होगा। क्योंकि मुसलमानों के वोट की आस में कांग्रेस ये भूल गई कि इससे हिंदू, जो इससे पहले अलग-अलग होकर जाति के आधार पर वोट देने की तैयारी में था, वो वर्ग पोलाराइज़ होकर एक साथ भाजपा के साथ चला गया। और कांग्रेस को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की इतनी बूरी दुर्दशा हुई कि उत्तर प्रदेश में वो मात्र 2 सीटों पर सिमट कर रह गई। आज कांग्रेस अपनी उसी गलती को एक बार फिर से दोहरा रही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को अपने नेताओं, प्रवक्ताओं और IT सेल की मदद से उस वक्त बड़ा बना दिया है जब भाजपा को इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत थी।
पहले चरण के चुनावों के बाद अंदरखानों में और राजनैतिक गलियारों में ये बात निकलकर सामने आ रही है कि भाजपा को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिल रहे हैं। लिहाज़ा भाजपा को और खासकर मोदी को अपनी स्पीचेस को और गरमाने की हिदायते दी जा रही थी। ऐसा हुआ भी। पर यहां कांग्रेस ने एक बार फिर से भाजपा के ट्रैप में फंसकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी तो मार ही ली है। यानि लग तो यही रहा है कि कांग्रेस वही कर रही है जो भाजपा करवाना चाहती है। अब भाजपा इसे भुनाने में कहां कोई कसर छोड़ती है। और इसका असर दिखने भी लग गया है। अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की आज की ही अपनी सभा में एक बार फिर से उसी बात को दोहराया है।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि मोदी का छत्तीसगढ़ और राजस्थान का भाषण एक जैसा है पर एक नहीं, यानी सिमिलर है सेम नहीं। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि विधानसभा के अपने भाषण में मोदी ने मनमोहन सिंह की बात का जिक्र तो किया था पर सीधे मुसलमानों पर इस भाषा में निशाना नहीं साधा था, जिस प्रकार उन्होंने राजस्थान में किया। अपने भाषण में उन्होंने मुसलमानों को ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले और घुसपैठिए करार दे दिया। इस अग्रेसिव बयान का सीधा अर्थ निकाला जा रहा है कि पहले चरण के चुनाव के बाद भाजपा को अपने चुनावी कैंपेन को और अग्रेसिव करने की स्ट्रैटजी पर काम किया जा रहा है। ज़ाहिर सी बात है। जब इस स्टेटमेंट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाएगा कि कांग्रेस संसाधनों को मुसलमानों को सौंप देगी तो हिंदू वर्ग तो पोलाराइज़ होगा ही। पर मोदी के बयान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम शायद इस वक्त कांग्रेस ने संभाला हुआ है। भाजपा के इस प्रयास के बाद अगर कांग्रेस कहीं गलती करने से चूक जाए तो वो कसर उनके कुछ फायरब्रांड नेता पूरा कर देते हैं जिनके एक बयान से वोटर भाजपा को मतदान करने पर मजबूर हो जाते हैं।