नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले एक दशक में निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के साथ गंभीर रूप से छेड़छाड़ की है।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आयोग की संस्थागत ईमानदारी का लगातार क्षरण गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि हरियाणा और महाराष्ट्र के हाल के विधानसभा चुनावों को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं पर आयोग का रुख आश्चर्यजनक रूप से पक्षपात से भरा रहा है।
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘भले ही हम राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाते हैं, पिछले 10 वर्षों में भारत के चुनाव आयोग की संस्थागत ईमानदारी का लगातार क्षरण गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय है।’
उन्होंने कहा,‘‘हमारा निर्वाचन आयोग और हमारा संसदीय लोकतंत्र, व्यापक संदेह के बावजूद, दशकों से निष्पक्ष, स्वतंत्र और विश्व स्तर पर अनुकरण के लिए आदर्श बन गया। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की प्राप्ति तथा पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय हमारे नीति निर्माताओं के दृष्टिकोण का प्रतीक है।’’
खरगे के अनुसार, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कायम रखने में लापरवाही अनजाने में सत्तावाद का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए, हमारे लोकतंत्र को बनाए रखने और इसे रेखांकित करने वाले संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए हमारे संस्थानों की स्वतंत्रता की रक्षा करना आवश्यक है।’
कांग्रेस महासचिव रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘आज के दिन को वर्ष 2011 से राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 75 साल पहले आज ही दिन 25 जनवरी, 1950 को चुनाव आयोग अस्तित्व में आया था।’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इसके पहले अध्यक्ष प्रख्यात सुकुमार सेन थे जिन्होंने हमारे चुनावी लोकतंत्र की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह आठ वर्षों तक एकमात्र मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। उनकी ‘भारत में प्रथम आम चुनाव 1951-52 पर रिपोर्ट’ बेहद उत्कृष्ट है। लेकिन पहले चुनाव के लिए मतदाता सूची के मसौदे की तैयारी सेन के कार्यभार संभालने से पहले ही पूरी हो चुकी थी।’
उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक प्रयास और इसमें शामिल लोगों की कहानी का वर्णन ऑर्निट शानी ने अपनी पुस्तक ‘हाउ इंडिया बिकम डेमोक्रेटिक’ में बहुत ही बारीकी से किया है।
रमेश ने कहा कि ऐसे ही कई अन्य प्रतिष्ठित मुख्य चुनाव आयुक्त रहे हैं जिनमें टीएन शेषन का सबसे विशेष स्थान है – उनका योगदान बेहद महत्वपूर्ण रहा है।
उन्होंने दावा किया, ‘ अफसोस की बात है कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की जोड़ी ने चुनाव आयोग के पेशेवर रवैये और स्वतंत्रता के साथ गंभीर रूप से छेड़छाड़ की है। इसके कुछ फैसलों को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र में हाल के विधानसभा चुनावों को लेकर व्यक्त की गई चिंताओं पर इसका रुख आश्चर्यजनक रूप से पक्षपात से भरा रहा है।
रमेश ने यह दावा भी किया, ‘आज ख़ुद को खूब बधाइयां दी जाएंगी, लेकिन इससे यह तथ्य सामने नहीं आएगा कि चुनाव आयोग जिस तरह से काम कर रहा है। आज जिस तरह से आयोग काम कर रहा है वह संविधान का मज़ाक और मतदाताओं का अपमान है।’
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘यह बात हमें याद रखनी चाहिए कि आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने पहले आम चुनाव के बीच सात जनवरी, 1952 को क्या लिखा था। उसमें आशा व्यक्त की गई थी कि जवाहरलाल नेहरू ‘भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की विफलता को स्वीकार करने’ के लिए जीवित रहेंगे।’
उन्होंने दावा किया , ‘आरएसएस ने नेहरू की निंदा की थी, कहा था, ‘हमेशा नारों और स्टंटों के ज़रिए जीतते रहे’ क्योंकि नेहरू ने बिना किसी की बात सुने इस बात पर जोर दिया था कि 21 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार होना चाहिए। इसे 1989 में और घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।’
भाषा हक पवनेश
पवनेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)