नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वर्ष 1991 के उपासना स्थल अधनियम का अक्षरश: क्रियान्वयन होना चाहिए। हालांकि, पूर्व प्रधान न्यायाधीश की ढाई साल पुरानी टिप्पणियों के कारण भानुमति का पिटारा खुल गया है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि संभल में एक मस्जिद और अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दावे जैसे विभिन्न हालिया विवाद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को अपनी कार्य समिति की बैठक में उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई है और यही हमारा रुख है। हम इसे उठाने जा रहे हैं, लेकिन जरूरी है कि संसद चले तथा हमें इसे उठाने की अनुमति मिले।’’
रमेश ने कहा, ‘‘संसद को चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। यह सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। विपक्ष को अपनी बात कहनी होगी, लेकिन सरकार को रास्ता निकालना होगा। लेकिन यहां सरकार अपने रास्ते से भटक गई है और नहीं चाहती कि संसद चले।’’
संभल में एक मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह पर दावों से जुड़े विवाद के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। 20 मई, 2022 को पूर्व सीजेआई (डी वाई चंद्रचूड़) द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों से ऐसा लगता है कि भानुमति का पिटारा खुल गया है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित और सितंबर 1991 में राजपत्र में प्रकाशित उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को अक्षरश: लागू किया जाना चाहिए।’’
कांग्रेस कार्य समिति ने उत्तर प्रदेश के संभल की हिंसा की पृष्ठभूमि में गत शुक्रवार को 1991 के उपासना स्थल अधिनियम के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया था और आरोप लगाया था कि भारतीय जनता पार्टी इस कानून का बेशर्मी से उल्लंघन कर रही है।
ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मई, 2022 में कहा था कि उपासना स्थल अधिनियम किसी को 15 अगस्त, 1947 को किसी संरचना के धार्मिक चरित्र का पता लगाने से नहीं रोकता है।
भाषा हक
हक दिलीप
दिलीप
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