जयपुर, नौ जून (भाषा) कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा उठाये गए मुद्दों पर आलाकमान की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने संबंधी बयान के बीच राजस्थान में एक बार फिर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड ने मंगलवार को कांग्रेस में कथित तौर पर बढ़ते असंतोष का हवाला देते हुए ट्वीट किया तो पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने उन्हें अपनी पार्टी यानी भाजपा की आंतरिक कलह को देखने की सलाह दी।
पायलट के साक्षात्कार के बाद राठौड़ ने ट्वीट किया ‘‘आखिर मन का दर्द होठों पर आ ही गया। ये चिंगारी कब बारूद बनकर फूटेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने अहम भूमिका निभाई थी। सुलह कमेटी के पास मुद्दे अब भी अनसुलझे ही हैं। ना जाने कब क्या हो जाए…’’।
पायलट ने इसकी प्रतिक्रिया में ट्वीट किया, ‘‘ राज्य के भाजपा नेताओं को व्यर्थ बयानबाजी के बजाय अपनी स्थिति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आपसी फूट व अंतर्कलह इतनी हावी है कि राज्य में भाजपा विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही। ’’
उन्होंने आगे कहा,‘‘इनकी नाकाम नीतियों से देश में उपजे संकट में जनता को अकेला छोड़ने वालों को जनता करारा जवाब देगी।’’ हालांकि, पायलट से इस मुद्दे पर बात करने के लिए जब सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने उनके द्वारा उठाये गये मुद्दो पर 10 महीने पूर्व गठित केन्द्रीय समिति द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में राजनीतिक नियुक्ति और मंत्रिमंडल फेरबदल का इंतजार पायलट खेमे के लोग कर रहे है।
इससे पूर्व पायलट समर्थक वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी जिन्होंने हाल ही में कुछ मुद्दों को लेकर सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को भेजा दिया था। पायलट खेमे के अन्य नेताओं में शामिल वेद प्रकाश सोलंकी, रमेश मीणा ने हाल ही में सरकार के विरोध अपनी आवाज उठाते हुए चिंताएं व्यक्त की थी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र ने बुधवार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि पार्टी आलाकमान ने कोई वादा किया है तो उसे पूरा करना चाहिए। सिंह से संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि पार्टी आलाकमान अथवा प्रभारी महासचिव से जो भी बातचीत हुई है.. उन्हें इसे पूरा करना चाहिए। यदि उन्होंने कोई मुद्दा उठाया तो मैं नहीं समझता उसमें कुछ गलत है।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष जुलाई में मुख्यमंत्री गहलोत के प्रति नाराजगी दिखाते हुए अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा चले गए थे। उस समय पायलट को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद वे वापस लौट आये। आलाकमान ने उनके द्वारा उठाये गये मुद्दो के समाधान के लिये एक समिति का गठन किया था।
भाषा कुंज पृथ्वी धीरज
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