पिथौरागढ़, एक अक्टूबर (भाषा) प्राचीन लिपुलेख दर्रे से पावन कैलाश पर्वत के दर्शन करने के लिए पांच श्रद्धालुओं का पहला जत्था मंगलवार को यहां पहुंचा।
ऐसा पहली बार हुआ है जब श्रद्धालुओं को पर्यटन विभाग द्वारा शुरू की गयी पायलट परियोजना के तहत पुराने लिपुलेख दर्रे से चोटी को देखने का मौका मिलेगा।
पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कृति चंद्र आर्य ने बताया कि पांच श्रद्धालुओं के पहले जत्थे को यहां के नैनी सैनी हवाई अड्डे से हेलीकॉप्टर के माध्यम से गुंजी शिविर ले जाया जाएगा जहां से वे पैदल यात्रा कर 17,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित पुराने लिपुलेख दर्रे तक पहुंचेंगे और कैलाश पर्वत के दर्शन करेंगे।
कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है और इससे पहले भारतीय श्रद्धालु स्वयं वहां जाकर उसके दर्शन करते थे।
कोविड महामारी के कारण उत्तराखंड तथा भारत में अन्य मार्गों के जरिए हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित कर दी गयी थी।
अधिकारी ने बताया कि श्रद्धालुओं के इस दौरे में आदि कैलाश तथा ओम पर्वत भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि पायलट परियोजना के लिए 15 श्रद्वालुओं ने बुकिंग करवाई है। उन्होंने कहा कि उन्हें अलग—अलग जत्थों में दो, चार, सात और 10 अक्टूबर को हेरिटेज एवियेशन के हेलीकॉप्टर के जरिए गुंजी पहुंचाया जाएगा।
आर्य ने बताया कि गुंजी में श्रद्धालुओं के लिए होमस्टे बुक किए गए हैं। इस परियोजना की नोडल एजेंसी कुमांउ मंडल विकास निगम को बनाया गया है जिसने तीर्थयात्रियों के रहने, खाने और यात्रा के सभी इंतजाम किए हैं।
वर्ष 2019 के बाद भारतीय श्रद्धालुओं को चीनी अधिकारियों द्वारा तिब्बत जाने की अनुमति न दिए जाने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने भारतीय भूभाग से ही कैलाश पर्वत के दर्शन की योजना बनाई है।
भाषा सं दीप्ति धीरज
धीरज
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