नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नतीजों में भाजपा के तीसरी बार वापसी और 2019 के मुकाबले ज्यादा सीटों के सरकार बनाने की संभावना जता चुके ख्यात चुनावी रणनीतिकार पीके यानी प्रशांत किशोर ने एक और संभावना जताई हैं। उन्होंने कहा हैं कि देशवासियों को बड़ी राहत देते हुए पीएम मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी दायरे में ला सकते हैं। (petrol diesel ka GST rate kitna hoga?) दरअसल प्रशांत किशोर ने यह बातें इण्डिया टुडे के साथ हुए एक इंटरव्यू में कही हैं। इसके अलावा प्रशांत ने इस बात की भी भविष्यवाणी की है कि अगर केंद्र में पीएम मोदी की तीसरी बार सरकार बनती है तो क्या-क्या बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
पीके ने कहा, “मुझे लगता है कि मोदी 3.0 सरकार धमाकेदार शुरुआत करेगी। केंद्र के पास शक्ति और संसाधन दोनों ही पहले से और अधिक होंगे। राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता में कटौती करने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है, इसलिए भाजपा लगभग 303 सीटें जीतेगी।
प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्यों के पास वर्तमान में राजस्व के तीन प्रमुख स्रोत हैं है। पेट्रोलियम, शराब और भूमि। ऐसे में मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। आपको बता दें कि फिलहाल पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाना उद्योग जगत की लंबे समय से मांग रही है। अगर ऐसा होता है तो राज्यों को राजस्व का भारी नुकसान होगा। पेट्रोल को जीएसटी के तहत लाने से राज्य करों का अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए केंद्र पर और अधिक निर्भर हो जाएंगे।
जीएसटी के तहत आने पर कितनी होगी कीमत
अगर केंद्र व राज्य सरकारें पेट्रोल को जीएसटी की तहत ले आती हैं तब वैट और एक्साइज ड्यूटी हट जाएगी मान लेते हैं कि पेट्रोल पर जीएसटी की सर्वाधिक दर 28 फीसदी लगाई जाती है. अब डीलर को जिस कीमत पर ( 57.36 रुपये) पेट्रोल मिलता है उस पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा. पेट्रोल पर टैक्स घटकर हो जाएगा 16.06 रुपये. इस पर अगर 3.75 रुपये डीलर का कमीशन जोड़ भी दिया तो भी पेट्रोल की कीमत 77 रुपये के करीब ही आएगी. हालांकि, इससे राज्यों व केंद्र सरकारों को बड़ा राजस्व घाटा उठाना होगा.
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