नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय का रुख करके एक याचिकाकर्ता ने बिहार में पुलों की जर्जर स्थिति को उजागर करने के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित विभिन्न खबरों की कतरनें और अन्य अतिरिक्त दस्तावेज शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाने के लिए उसकी अनुमति मांगी है।
तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर इस वर्ष 29 जुलाई को बिहार सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित अन्य से जवाब मांगा था।
शीर्ष अदालत 4 नवंबर को, उस जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार करने को सहमत हो गई थी, जिसमें बिहार में हाल के महीनों में कई पुलों के ढहने के बाद उनकी सुरक्षा और टिकाऊपन के बारे में चिंता जताई गई थी।
याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई होने की संभावना है।
सिंह ने 14 नवंबर को अपनी लंबित जनहित याचिकाओं में एक अंतरिम अर्जी दायर कर राज्य में पुलों की खराब स्थिति से संबंधित 15 खबरों को रिकॉर्ड में लाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने संबंधित पीठ के समक्ष अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए एक आईए (अंतरिम अर्जी) दायर की है क्योंकि बिहार राज्य में पुल और पुलिया अभी भी जर्जर स्थिति में हैं और वे नियमित रूप से ढह रहे हैं।’’
उन्होंने बिहार के नालंदा जिले की एक हालिया घटना का जिक्र किया, जहां 18 वर्षीय एक युवक की जर्जर पुल से नदी में गिरने के कारण मौत हो गई।
वकील ने कहा कि राज्य सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने जुलाई में शीर्ष अदालत द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बावजूद अब तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
उन्होंने दावा किया कि हाल में तीन नवंबर को दरभंगा जिले में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया और संबंधित निर्माण कंपनी को रात में चुपके से उस मलबे को हटाते हुए देखा गया।
जनहित याचिका में संरचनात्मक ऑडिट के लिए निर्देश देने और पुलों को चिह्नित करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की मांग की गई है, जिनके निष्कर्षों के आधार पर पुलों को मजबूत या ध्वस्त किया जा सके।
शीर्ष अदालत ने राज्य और एनएचएआई के अलावा, सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और ग्रामीण कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया था।
इस साल मई, जून और जुलाई के दौरान बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पुल ढहने की 10 घटनाएं हुईं। कई लोगों का दावा है कि भारी बारिश के कारण ये घटनाएं हुई हैं।
जनहित याचिका में राज्य में पुलों की सुरक्षा और टिकाऊपन के बारे में चिंता जताई गई है, जहां आमतौर पर मानसून के दौरान भारी बारिश और बाढ़ आती है।
उच्च स्तरीय समिति गठित करने के अलावा, याचिका में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार पुलों की निगरानी के लिए निर्देश जारी करने का भी अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ता ने यह रेखांकित किया कि बिहार, देश में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है जहां 68,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। यह राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 73.06 प्रतिशत है।
पुल ढहने की घटनाओं के मद्देनजर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की जरूरत वाले पुलों का पता लगाने का निर्देश दिया है।
भाषा सुभाष संतोष
संतोष
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