चेन्नई, तीन जुलाई (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को उस याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें एक जुलाई से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए केंद्र द्वारा हिंदी और संस्कृत भाषा में नामकरण को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित करने का अनुरोध किया गया है।
ये तीन अधिनियम हैं – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर. महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने अधिवक्ता बी. रामकुमार आदित्यन द्वारा दायर जनहित याचिका पर आगे की सुनवाई 23 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। याचिका में केंद्र सरकार को तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए अंग्रेजी में नामकरण करने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
अपनी जनहित याचिका में आदित्यन ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों के शीर्षक हिंदी और संस्कृत भाषा में दिए हैं।
उन्होंने कहा कि देश में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं और इनमें से केवल 9 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों की आधिकारिक भाषा हिंदी है।
उन्होंने कहा कि भारत की कुल आबादी के लगभग 43.63 प्रतिशत लोगों की ही मातृभाषा हिंदी है।
आदित्यन ने कहा कि केंद्र सरकार ने हालांकि इन महत्वपूर्ण विधेयकों के नाम हिंदी और संस्कृत भाषा में दिए हैं। उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में केवल 3.93 लाख लोग हिंदी बोलते हैं।
भाषा प्रशांत अविनाश वैभव
वैभव
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