नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें राजधानी में पिछले एक साल से सीवर ओवरफ्लो होने के कारण पानी के दूषित होने और कई क्षेत्रों में जलजनित बीमारियों के फैलने का उल्लेख किया गया है।
इस याचिका को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ की याचिका में कहा गया है कि समस्या का मुख्य कारण कई प्रमुख सीवर और छोटे सीवर से गाद को नहीं निकालना, सीवर की सफाई करने की मशीनों या श्रमिकों की संख्या में कमी और पुरानी सीवर लाइनों को बदलने की आवश्यकता है।
इसमें कहा गया, ‘‘प्रतिवादी सीवर ओवरफ्लो के कारण जल प्रदूषण से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार में आंतरिक कलह के कारण आम जनता को परेशानी हो रही है।’’
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है,‘‘पिछले एक साल में दिल्ली को सीवर ओवरफ्लो जैसी गंभीर और अभूतपूर्व स्थिति का सामना करना पड़ा है। सीवर ओवरफ्लो के कारण कई इलाकों का पानी दूषित हो गया है। कुछ इलाकों में तो जल जनित बीमारियां भी फैल रही हैं। इसलिए समाज के व्यापक हित में सीवर के ऊपर से बहने की समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है।’’
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने ‘सीवर ओवरफ्लो’ के मुद्दे के संबंध में अधिकारियों को एक अभ्यावेदन दिया था, लेकिन दिल्ली की जल मंत्री ने इसके जवाब में कहा कि जिन कारणों और परिस्थितियों के कारण सीवर ओवरफ्लो की यह जटिल समस्या उत्पन्न हुई है, वह मुख्य रूप से दिल्ली सरकार के वित्त विभाग द्वारा उत्पन्न एक कृत्रिम वित्तीय संकट और प्रशासनिक खींचतान का परिणाम है।
भाषा संतोष माधव
माधव
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