उत्तराखंड के दूरस्थ गांव के लोग सड़क की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे |

उत्तराखंड के दूरस्थ गांव के लोग सड़क की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे

उत्तराखंड के दूरस्थ गांव के लोग सड़क की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे

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Modified Date: December 12, 2024 / 11:24 PM IST
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Published Date: December 12, 2024 11:24 pm IST

गोपेश्वर, 12 दिसंबर (भाषा) कंपकंपाती ठंड के बीच उत्तराखंड के चमोली जिले के सुदूरवर्ती गांव डूमक के निवासी गांव को सड़क से जोड़े जाने की मांग को लेकर जिलाधिकारी के दफ्तर के बाहर भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

पिछले चार दिनों से भूख हड़ताल का नेतृत्व कर रहीं बबीता देवी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गांव के लोग पिछले चार दशक से सड़क बनाने को लेकर विभिन्न मंचों पर मांग करते आ रहे हैं, लेकिन इस संबंध में सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं।

डूमक चमोली जिले के सबसे दूरस्थ गांवों में एक है। तीन साल पहले भारत के तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार पैदल चलकर एक पोलिंग बूथ का निरीक्षण करने गांव पहुंचे थे। ग्रामीणों की सभा में उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया था कि एक महीने के भीतर तत्कालीन जिलाधिकारी गांव में आएंगे और सड़क की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

देवी ने कहा कि जिलाधिकारी को गांव में पहुंचने में चार से छह महीने लग गए लेकिन सड़क अभी तक नहीं पहुंची।

सड़क निर्माण के लिए बनी संघर्ष समिति के संयोजक प्रेम सिंह सनवाल ने बताया कि 2007-08 में गोपेश्वर से डूमक के बीच दर्जनों गांवों को जोड़ने के लिए सैंजी लगा मैकोट से स्यूण गांव होते हुए लगभग 33 किलोमीटर सड़क बनाने की स्वीकृति मिली थी जिसका वन एवं पर्यावरण स्वीकृति के बाद निर्माण शुरू हुआ लेकिन हमारे गांव तक लगभग दो दशक बाद भी सड़क नहीं पहुंची।

सनवाल ने बताया कि बारह करोड़ रुपये से अधिक लागत की इस सड़क पर 2015 तक केवल नौ किलोमीटर ही कार्य हो पाया जिसके बाद नए रेट पर दूसरी कंपनी को काम सौंपा गया लेकिन उसने भी काम पूरा नहीं किया।

उन्होंने कहा कि यह पहली सड़क है जिसका संरेखन अधिकारियों ने अपनी सुविधा के लिए तीन बार बदला और फिर भी सड़क नहीं बनायी गयी। सनवाल ने बताया कि स्थानीय भूविज्ञानी ही नहीं, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान से लेकर एनजीआरआई हैदराबाद के वैज्ञानिक भी यहां का सर्वेक्षण कर चुके हैं लेकिन निर्माण नही हो पा रहा है।

गांव के लोगों ने पिछले माह भी इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की थी ।

भाषा सं दीप्ति खारी

खारी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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