नई दिल्ली: Supreme Court angry on low Pension, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों की पेंशन को लेकर निराशा जताई। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को महज 10 से 15 हजार रुपये पेंशन मिल रही है। यह बेहद दयनीय स्थिति है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, आप हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते। कभी-कभी, आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है।
पीठ ने कहा, यह दयनीय है। पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10,000 से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिल रही है।
बता दें कि सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन से संबंधित मुद्दे को उठाने वाली याचिकाएं बुधवार को पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थीं।
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि इस पर जनवरी में सुनवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की।
वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी।
पीठ ने कहा, बेहतर होगा कि आप उन्हें समझाएं कि हमारे हस्तक्षेप से बचा जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि इस मामले पर अलग-अलग मामलों के आधार पर निर्णय नहीं लिया जाएगा और शीर्ष अदालत जो भी आदेश देगी, वह सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों पर लागू होगा। पीठ ने मामले की सुनवाई 8 जनवरी के लिए स्थगित कर दी।
पिछले महीने इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि कुछ सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को मात्र 6,000 रुपये से लेकर 15,000 रुपये तक की मामूली पेंशन मिल रही है।
पीठ एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा था कि उन्हें 15,000 रुपये की पेंशन मिल रही है।
याचिकाकर्ता, जिन्हें जिला न्यायालय में 13 वर्षों तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था, ने दावा किया था कि प्राधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था, अगर हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, तो यह चौंकाने वाला है। ऐसा कैसे हो सकता है?”
मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन लाभों की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं।
इसमें कहा गया था कि जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पेंशन लाभ की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए।