कांग्रेस ने दिल्ली सरकार की ‘बायो डीकम्पोजर’ पहल में घोटाले का आरोप लगाया, CBI जांच की मांग की | Pawan Khera Congress accuses Delhi government of scam in 'Bio Decomposer' initiative, demands CBI probe

कांग्रेस ने दिल्ली सरकार की ‘बायो डीकम्पोजर’ पहल में घोटाले का आरोप लगाया, CBI जांच की मांग की

कांग्रेस ने दिल्ली सरकार की ‘बायो डीकम्पोजर’ पहल में घोटाले का आरोप लगाया, CBI जांच की मांग की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:35 PM IST, Published Date : December 31, 2020/10:37 am IST

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार की ओर से पराली नष्ट करने के मकसद से ‘पूसा बायो डीकम्पोजर’ (एक तरह का घोल) के छिड़काव और किसानों को इसके कैप्सूल बांटे जाने की कवायद में ‘घोटाला’ हुआ है।

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पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए।

कांग्रेस के आरोप पर आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल सरकार की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

खेड़ा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह केजरीवाल भी कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार करके सत्ता में आए। केजरीवाल ने सत्ता में आने के बाद सिर्फ झूठे विज्ञापनों पर करोड़ रुपये खर्च किए। केजरीवाल के लिये यह फैशन बन गया है कि किस तरह अपनी जिम्मेदारी से बचकर भागना है। प्रदूषण की समस्या के लिए उन्होंने कई बार किसानों को जिम्मेदार ठहराया है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ पराली को नष्ट करने के इस घोल के विज्ञापन पर केजरीवाल सरकार ने 10 करोड़ रुपये खर्च किए। यह घोल 75 रुपये से अधिक का घोल था। इसके साथ ही इस कुल पूसा बायो डीकम्पोजर पर कुल 23 लाख रुपये से अधिक खर्च हुए।’’

खेड़ा ने यह भी कहा, ‘‘दिल्ली में बायो डीकम्पोजर के 3200 कैप्सूल की जरूरत थी, लेकिन 8000 कैप्सूल खरीदे गए। 4800 कैप्सूल का क्या किया गया ? कुल 23 लाख रुपये की लागत आई और विज्ञापन पर 10 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। यह एक घोटाला है। हम इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘किसान मित्र योजना के बारे में भी इन्होंने बड़ी-बड़ी बातें कीं। लेकिन यह जमीन पर नहीं उतरी। यही नहीं, देश में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों पर दिल्ली सरकार ने सबसे पहले अधिसूचना जारी की।’’

उल्लेखनीय है कि पूसा बायो डीकम्पोजर को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) ने विकसित किया है जो कृषि अपशिष्ट को 15 से 20 दिन में खाद में तब्दील कर देता है। इससे किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं होगी।