भुवनेश्वर। Kamala Pujari passes away पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और जैविक खेती के लिए मशहूर किसान कमला पुजारी का शनिवार को गुर्दा संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने यह जानकारी दी। कमला पुजारी के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज हस्तियों ने शोक व्यक्त किया। पुजारी 74 वर्ष की थीं और उनके परिवार में दो पुत्र तथा दो पुत्रियां हैं।
पुजारी को गुर्दा से संबंधित बीमारियों को लेकर दो दिन पहले कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार सुबह उनका निधन हो गया। इससे पहले उनकी तबियत बिगड़ने पर पुजारी को जेपुर जिला मुख्यालय अस्पताल से कटक स्थानांतरित किया गया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया मंच पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘‘मुझे ओडिशा की प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और कृषक श्रीमती कमला पुजारी के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। चावल और अन्य फसलों की विभिन्न किस्मों के दुर्लभ और लुप्तप्राय बीजों के संरक्षण की दिशा में उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने किसानों, विशेषकर महिला किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा दिया। जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके शोक संतप्त परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘श्रीमती कमला पुजारी जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने कृषि में उल्लेखनीय योगदान दिया, विशेष रूप से जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और स्वदेशी बीजों की रक्षा करने में। स्थिरता को समृद्ध करने और जैव विविधता की रक्षा करने में उनके काम को वर्षों तक याद किया जाएगा। वह जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिहाज से भी एक प्रकाशस्तंभ थीं। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।’’
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पुजारी के निधन पर शोक व्यक्त किया और साथ ही घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। माझी ने फोन पर पुजारी के पुत्र टंकाधर पुजारी से भी बात की।
ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एक बयान में शोक जताया और कहा, ‘‘कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।’’
कोरापुट जिले के बैपारीगुडा ब्लॉक के पतरापुट गांव में जन्मी पुजारी जैविक खेती की समर्थक थीं और उन्होंने चावल की 100 किस्मों की खेती की थी। वह एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन से जुड़ी थीं।
उन्हें 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह 2018 में राज्य योजना बोर्ड की सदस्य बनीं और 2004 में ओडिशा सरकार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार से सम्मानित किया था।
उन्होंने 2002 में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में ‘इक्वेटर इनीशिएटिव अवार्ड’ से भी नवाजा गया था। पुजारी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव ले जाया गया है।