नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) वर्ष 1995 से 2019 के बीच दुनिया भर में मनुष्यों द्वारा निर्मित प्लास्टिक और इमारतों जैसी लंबे समय तक चलने वाली चीजों में लगभग 8.4 अरब टन कार्बन जमा हो चुका है। यह बात एक शोध में कही गई है।
नीदरलैंड में ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि इस ‘जीवाश्म कार्बन’ और इस्तेमाल की जा रहीं व फेंकी जा चुकीं मानव निर्मित वस्तुओं यानी ‘टेक्नोस्फीयर’ से 2019 में दुनियाभर में करीब 93 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन हुआ।
उन्होंने कहा कि ‘टेक्नोस्फीयर’ में मौजूद कार्बन से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ने की काफी आशंका है।
‘सेल रिपोर्ट्स सस्टेनेबिलिटी’ पत्रिका में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने कहा, ‘‘इन 25 वर्षों (1995-2019) में 8.4 अरब टन जीवाश्म कार्बन जमा हुआ है, जिसमें हर साल लगभग 0.4 अरब टन की वृद्धि हुई है। इससे मानवजनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और बढ़ने की आशंका है।”
ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के पारिस्थितिकीय अर्थशास्त्री और वरिष्ठ शोध लेखक क्लॉस हबासेक ने कहा, ‘‘हमने पृथ्वी पर मानव निर्मित चीजों में, प्राकृतिक दुनिया में मौजूद कार्बन की तुलना में अधिक कार्बन जमा कर लिया है, लेकिन हम इस तथ्य को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं, जिसकी वजह से कार्बन की मात्रा बढ़ती रहती है।”
भाषा जोहेब प्रशांत नेत्रपाल
नेत्रपाल
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