नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर की गई टिप्पणी के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को राज्यसभा में विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की बैठक ‘जय भीम’ के नारे से ही आरंभ हुई। हंगामा भी शुरू हो गया। सभापति जगदीप धनखड़ ने इसके बीच ही आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्हें नियम 267 के तहत चार नोटिस मिले हैं। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास ने केंद्रीय गृह मंत्री के बयान पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि चौथा नोटिस समाजवादी पार्टी (सपा) के रामजी लाल सुमन का था। उन्होंने किसानों की हालत पर चर्चा करने के लिए नियत कामकाज स्थगित करने का अनुरोध किया था।
सभापति ने कहा कि पिछले तीन दशकों में नियम 267 के तहत जो नोटिस स्वीकार किए गए हैं, उनकी संख्या दहाई अंक में भी नहीं है।
इस पर कांग्रेस के सुरजेवाला ने कहा कि आज तक सदन में बाबा साहेब का अपमान भी नहीं हुआ है।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सभापति ने कहा कि सदन में इस तरह अराजकता का माहौल नहीं बनाने दिया जा सकता।
इसके बाद उन्होंने 11 बजकर 11 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
ज्ञात हो कि इसी मुद्दे पर बुधवार को संसद में जोरदार हंगामा हुआ था। इसके चलते दोनों सदनों की कार्यवाही एक एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई थी।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शाह ने राज्यसभा में ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मंगलवार को अपने संबोधन के दौरान बाबासाहेब का अपमान किया।
मुख्य विपक्षी दल ने शाह के संबोधन का एक वीडियो अंश भी जारी किया जिसमें गृह मंत्री विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए यह कहते सुने जा सकते हैं कि ‘‘अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर…। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’
भाषा ब्रजेन्द्र
ब्रजेन्द्र मनीषा
मनीषा
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