नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को ‘‘बोलने का मौका नहीं दिये जाने’’ को लेकर अपनी ‘‘सामूहिक चिंता’’ से उन्हें अवगत कराया।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को सदन में बिरला द्वारा राहुल गांधी के संदर्भ में की गई टिप्पणी की पृष्ठभूमि में उनसे मुलाकात की और उन्हें एक पत्र भी सौंपा।
लोकसभा अध्यक्ष ने बुधवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा था कि वह नियमों और सदन की मर्यादा के अनुरूप आचरण करें। इसके बाद, कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया था कि सदन को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है और उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा।
बिरला ने शून्यकाल के बाद कहा था, ‘‘कई पिता-पुत्री, मां-बेटी और पति-पत्नी इस सदन के सदस्य रहे हैं और इसी परिप्रेक्ष्य में नेता प्रतिपक्ष से अपेक्षा की जाती है कि वह सदन के नियमों और परंपराओं के अनुरूप आचरण करेंगे।’’
राहुल गांधी और कांग्रेस ने कहा कि बिरला ने बिना कोई वजह बताए यह टिप्पणी की।
इस बीच, भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने सदन की कार्यवाही का एक वीडियो साझा किया, जिसमें राहुल गांधी अपनी बहन और सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा के गालों को प्यार से स्पर्श करते देखे जा सकते हैं। यह वीडियो कुछ दिन पहले की कार्यवाही के दौरान का है।
लोकसभा अध्यक्ष से बृहस्पतिवार को विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात के बाद, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज ‘इंडिया’ गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल शून्यकाल के दौरान लोकसभा अध्यक्ष से मिला। उस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, राजद और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल थे। हमने एक पत्र भी सौंपा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस सामूहिक चिंता से उन्हें अवगत कराया कि किस प्रकार से सत्तापक्ष की ओर से सदन की परंपरा और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।’’
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता ने कहा, ‘‘हमने यह मुद्दा उठाया कि कल अध्यक्ष ने सदन में एक बयान पढ़ा। वह किस विषय और किस पल का उल्लेख कर रहे थे, वह स्पष्ट नहीं था। लेकिन बाहर हमने देखा कि उनके द्वारा कही गई बात का राजनीतिकरण हुआ और दुष्प्रचार किया गया। हमने इस बारे में उन्हें बताया।’’
गोगोई ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष को इस चिंता से अवगत कराया कि जब नेता प्रतिपक्ष सदन में बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करने वाले सांसदों में गोगोई, द्रमुक के ए राजा, सपा के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की सुप्रिया सुले शामिल थीं।
सूत्रों ने बताया कि पत्र में विपक्षी नेताओं कहा, ‘‘परंपरा के अनुसार, जब भी विपक्ष के नेता खड़े होते हैं, तो उन्हें आमतौर पर बोलने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, वर्तमान सरकार औपचारिक रूप से अनुरोध किए जाने पर भी विपक्ष के नेता को बोलने का मौका देने से मना कर देती है।’’
उन्होंने कहा कि यह उन पिछली परंपराओं से अलग है, जब टकराव की स्थिति में भी विपक्ष के नेता की बात सुनी जाती थी।
विपक्षी दलों ने संविधान के अनुच्छेद 93 का हवाला देते हुए लोकसभा में उपाध्यक्ष की अब तक नियुक्ति नहीं होने का मुद्दा भी उठाया। यह अनुच्छेद लोकसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव को अनिवार्य करता है। विपक्षी नेताओं ने बिरला को लिखे अपने पत्र में बताया कि उपाध्यक्ष का पद 2019 से रिक्त है, जो अभूतपूर्व स्थिति है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा उपाध्यक्ष सदन की निष्पक्षता को बनाये रखने और कार्यवाही सुचारू रूप से जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी सरकार इस पद के लिए चुनाव कराने में विफल रही है।
विपक्षी नेताओं ने यह भी कहा कि कार्य मंत्रणा समिति के फैसले पारंपरिक रूप से बाध्यकारी नहीं होते हैं, सरकार पूर्व परामर्श या सूचना के बिना सदन में कामकाज का एकतरफा ब्योरा पेश करती है।
इन नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष को बताया, ‘‘उदाहरण के तौर पर पिछले सप्ताह सदन में महाकुंभ पर प्रधानमंत्री के वक्तव्य के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था, जो संसदीय परंपरा का मजाक है।’’
विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा, ‘‘जब किसी स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया जाता था, तो अध्यक्ष सांसदों के नामों का उल्लेख करते थे और उन्हें शून्यकाल के दौरान राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को उठाने की अनुमति देते थे। स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को अब पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है या सिरे से खारिज कर दिया जाता है, जिससे विपक्षी सांसद जरूरी मुद्दे नहीं उठा पाते।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि सदस्यों के निजी विधेयक और संकल्प पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार, पत्र में, विपक्षी सांसदों ने बोलते समय उनका माइक बंद किए जाने की भी बात कही है।
भाषा
हक सुभाष
सुभाष
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)