‘एक देश, एक चुनाव’ : विपक्षी नेताओं ने मंशा पर उठाए सवाल |

‘एक देश, एक चुनाव’ : विपक्षी नेताओं ने मंशा पर उठाए सवाल

‘एक देश, एक चुनाव’ : विपक्षी नेताओं ने मंशा पर उठाए सवाल

:   Modified Date:  September 18, 2024 / 08:46 PM IST, Published Date : September 18, 2024/8:46 pm IST

नयी दिल्ली/तिरुवनंतपुरम/इंफाल/मुंबई, 18 सितंबर (भाषा) केंद्र द्वारा ‘एक देश, एक चुनाव’ पर आगे बढ़ने के फैसले को लेकर विपक्षी नेताओं ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह विचार व्यवहारिक नहीं है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसके जरिये विधानसभा चुनावों में असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है।

केंद्र ने बुधवार को देशव्यापी आम सहमति बनाने की कवायद के बाद चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।

सरकार का कहना है कि कई राजनीतिक दल पहले से ही इस मुद्दे पर सहमत हैं। उसने कहा कि देश की जनता से इस मुद्दे पर मिल रहे व्यापक समर्थन के कारण वह दल भी रुख में बदलाव का दबाव महसूस कर सकते हैं जो अब तक इसके खिलाफ हैं।

सरकार के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आगे बढ़ाने के लिए एक क्रियान्वयन समूह का गठन किया जाएगा और अगले कुछ महीनों में देश भर के विभिन्न मंचों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

कांग्रेस ने बुधवार को आरोप लगाया कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार व्यवहारिक नहीं है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसके जरिये विधानसभा चुनावों में असल मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि देश इस विचार को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव केवल ध्यान भटकाने का भाजपाई मुद्दा है। यह संविधान के खिलाफ है, लोकतंत्र के प्रतिकूल है, संघवाद के विरुद्ध है। देश इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा।’’

वहीं तिरुवनंतपुरम से मिली खबर के अनुसार मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता एवं केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का इसके पीछे छिपा हुआ एजेंडा है। उन्होंने कहा कि सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ की आड़ लेकर देश के संघीय ढांचे को कमजोर करना चाहती है।

विजयन ने आरोप लगाया कि ‘एक चुनाव’ का नारा भारत के संसदीय लोकतंत्र की विविधता वाली प्रकृति को नुकसान पहुंचाने के लिए गढ़ा गया है। उन्होंने देश के लोकतांत्रिक समाज से देश की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली और यहां तक ​​कि भारत की अवधारणा को ‘नष्ट’ करने के संघ परिवार के कथित कदम के खिलाफ आगे आने का आग्रह भी किया।

झारखंड के मुख्यमंत्री एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा चाहती है कि देश के साथ-साथ राज्यों में भी एक ही पार्टी का शासन हो।

जामताड़ा जिले में एक सरकारी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अभी पता चला कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब वे (भाजपा) चाहते हैं कि इस देश पर केवल एक ही पार्टी का शासन हो और केवल एक ही सरकार हो…चाहे वह देश हो या राज्य। कोई अन्य सरकार नहीं होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले ये लोग हमेशा शासन करना चाहते हैं।’’

कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी. के.शिवकुमार ने कहा कि एक साथ चुनाव भारत जैसे लोकतंत्र में संभव नहीं।

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने कहा, ‘‘वे ‘एक देश, एक चुनाव’ लागू करने की योजना बना रहे हैं, जिसका उद्देश्य सरकार का पैसा बचाना है, हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में यह संभव नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन लोटस’ (विपक्षी विधायकों को तोड़कर गैर-भाजपा सरकारों को गिराना) के बारे में किसने सोचा था?, यह भाजपा है। वे ही कई चुनावों के कारण बने। इसे (कई चुनावों को) कैसे रोका जा सकता है?’’

शिवकुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘चूंकि क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ रहा है जो ये नहीं चाहते और इसलिए यह पूरी कवायद कर रहे हैं। सभी दलों को इस देश में समान अवसर मिलना चाहिए।’’

शिवसेना (यूबीटी) ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र और हरियाणा का एकसाथ चुनाव नहीं करा सकती और एकसाथ चुनाव का मंशा पाले हुए है।

शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता एवं सांसद अरविंद सावंत ने सवाल किया कि क्या ‘एक देश, एक चुनाव’ सरकार की एक प्राथमिकता थी, जब बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, महिलाओं के खिलाफ अपराध और किसानों की समस्याएं जैसे अधिक गंभीर मुद्दे मौजूद हैं।

वहीं शिवसेना (यूबीटी) के नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस कदम को ‘मजाक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पांच सालों के लिए सभी लंबित चुनावों की समय सीमा बढ़ाने की एक चाल है।

ठाकरे ने कहा कि यह ‘मजाक’ है क्योंकि केंद्र सरकार चार राज्यों में एकसाथ चुनाव भी नहीं करा सकती। उन्होंने सवाल किया कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा के लिए चुनावों की घोषणा हो गई लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव का क्या?

कांग्रेस की मणिपुर इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष के. देवब्रत सिंह ने इंफान में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत जैसे देश में एक साथ चुनाव कराना बहुत मुश्किल होगा जहां पर 90 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एकसाथ चुनाव कराने पर सभी मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराना मुश्किल होगा।’’

आम आदमी पार्टी (आप) ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को अव्यवहारिक और सरकार का ‘जुमला’ करार दिया।

आप के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने दावा किया कि केंद्र एक बार में चार राज्यों में चुनाव नहीं करा सकता और सवाल किया कि वे पूरे देश में एक बार में चुनाव कैसे कराएंगे।

पाठक ने कहा, ‘चार राज्य ऐसे थे जहां एकसाथ चुनाव होने थे लेकिन वे उन्हें एक साथ कराने में असमर्थ थे। वे हरियाणा और जम्मू कश्मीर में एक साथ चुनाव करा रहे हैं।’

पाठक ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में कहा, ‘‘अगर कोई सरकार ढाई साल के भीतर गिर जाती है, तो क्या भाजपा उपराज्यपाल या राज्यपाल के माध्यम से उस राज्य पर शासन करना चाहती है? यह भाजपा का उसी तरह का झुमला है जब वे किसानों से परामर्श किए बिना कृषि कानून लाए थे। जैसे वे विशेषज्ञों से परामर्श किए बिना नोटबंदी लाए थे।’’

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता आर एस भारती ने कहा, ‘‘हम पहले दिन से इसका विरोध कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी अपने रुख पर कायम रहेगी।

तमिलनाडु की मुख्य विपक्ष ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के प्रवक्ता आर एम बाबू मुरुगावेल ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उनकी पार्टी प्रस्ताव का समर्थन करती है या विरोध। उन्होंने कहा कि ‘‘संशोधनों और तकनीकी पहलुओं पर विचार करने सहित अभी लंबा रास्ता तय करना है।’’

भाषा धीरज अमित

अमित

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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