Sela Tunnel Controversy: सेला टनल खुलने से बौखलाया चीन, कहा- 'अरुणाचल हमारा हिस्सा है... भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता' |Sela Tunnel Controversy

Sela Tunnel Controversy: सेला टनल खुलने से बौखलाया चीन, कहा- ‘अरुणाचल हमारा हिस्सा है… भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता’

Sela Tunnel Controversy: सेला टनल खुलने से बौखलाया चीन, कहा- 'अरुणाचल हमारा हिस्सा है... भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता'

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Modified Date: March 12, 2024 / 04:54 PM IST
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Published Date: March 12, 2024 4:54 pm IST

Sela Tunnel Controversy: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फुट की ऊंचाई पर निर्मित सेला सुरंग का शनिवार को उद्घाटन कर दिया है। सेला सुरंग चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ विभिन्न अग्रिम स्थानों पर सैनिकों और हथियार प्रणालियों की बेहतर आवाजाही मुहैया करेगी। वहीं, अब चीन का कहना है, कि अरुणाचल प्रदेश हमारा हिस्सा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है, कि भारत के कदम LAC पर तनाव को बढ़ावा देने वाले हैं।

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वांग ने अरुणाचल प्रदेश का नाम जांगनान बताया और कहा- यह चीनी क्षेत्र है। हमारी सरकार ने कभी भी गैर-कानूनी तरीके से बसाए गए अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी। हम आज भी इसका विरोध करते हैं। यह चीन का हिस्सा है और भारत मनमाने ढंग से यहां कुछ भी नहीं कर सकता है। भारत जो कर रहा है उससे सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद और बढ़ सकता है। हम PM मोदी के पूर्वी क्षेत्र में किए गए इस दौरे के खिलाफ हैं। हमने भारत से भी अपना विरोध जताया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत कहता है और इसका नाम जांगनान बताता है।

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सेला सुरंग का निर्माण नयी ऑस्ट्रियाई सुरंग प्रौद्योगिकी से किया गया है और इसमें उच्चतम मानकों की सुरक्षा विशेषताएं शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस परियोजना से क्षेत्र में तेज और बेहतर परिवहन सुविधा प्राप्त होगी और देश के लिए सामरिक महत्व की साबित होगी। असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले से जोड़ने वाली सड़क पर 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस सुरंग को इतनी ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी ‘दोहरी लेन’ वाली सड़क सुरंग माना जा रहा है। बता दें कि यह टनल सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तवांग तक पूरे साल संपर्क मुहैया करेगी और इसके जरिये सीमांत क्षेत्र में सैनिकों की सुगमता से आवाजाही सुनिश्चित होने की उम्मीद है।

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