नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने अपतटीय उत्खनन को लेकर लोकसभा में मंगलवार को विपक्षी सदस्यों द्वारा जताई गई चिंता को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि अब तक इस तरह की गतिविधि केरल सहित देश के किसी भी समुद्र तट पर शुरू नहीं हुई है, इसलिए उसके प्रभाव या दुष्प्रभाव का सवाल ही पैदा नहीं होता।
‘मछुआरा समुदाय के समक्ष आ रही कठिनाइयों’ पर कांग्रेस सांसद के. सी. वेणुगोपाल के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री ने यह बात कही।
सिंह ने कहा कि अपतटीय उत्खनन की सबसे पहली अवधारणा अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 2002 के तहत की गयी थी और पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान उसे पारित कराया गया था।
उन्होंने अपतटीय उत्खनन से मछुआरा समुदाय की आजीविका पर असर पड़ने को लेकर विपक्षी सदस्यों द्वारा जताई गई चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘आज तक कोई भी अपतटीय उत्खनन केरल में या देश के किसी समुद्र तट पर प्रारंभ ही नहीं हुआ है तो ऐसे में उसके प्रभाव या कुप्रभाव का सवाल ही नहीं पैदा होता।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘तेरल ब्लॉक के लिए नवंबर 2024 में निविदा जारी की गई, उसमें मात्र तीन ब्लॉक केरल में हैं और वह भी 12 समुद्री मील के दायरे से बाहर हैं, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में आते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज तक अपतटीय उत्खनन प्रारंभ ही नहीं हुआ है और आप (विपक्षी सदस्य) कह रहे हैं कि उसका व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। पूरा मामला खनन मंत्रालय का है। हम खनन मंत्रालय से प्राप्त सूचना के आधार पर यह जानकारी दे रहे हैं।’’
मंत्री ने मछुआरों के प्रति सरकार की उदासीनता और अनदेखी किये जाने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘ऐसा बोलना सही नहीं है, बल्कि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार ने ही उनकी गरीबी पर ध्यान दिया और उनके उत्थान का काम किया। जिसका परिणाम आज यह है कि मत्स्य उत्पादन के मामले में हम दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं।’’
इससे पहले, वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार समुद्र में अपतटीय उत्खनन कराने जा रही है और निजी कंपनी जल्द ही यह कार्य शुरू कर देगी। उन्होंने सवाल किया, ‘‘लेकिन मछुआरों और उनकी आजीविका का क्या होगा।’’
उन्होंने जानना चाहा, ‘‘क्या मत्स्य पालन मंत्रालय ने इस बारे में कोई सर्वेक्षण कराया है कि इसका मछली पालन पर क्या असर पड़ेगा। क्या सर्वेक्षण में संबद्ध एजेंसियां शामिल की गई हैं। आप खनन कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं या देश के गरीब मछुआरे के लिए?
वेणुगोपाल ने सरकार से यह भी बताने को कहा, ‘‘हमारे समुद्री तटों को कौन नियंत्रित करता है।’’
उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि देश की 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तट रेखा पर एक कंपनी हर 500 किमी पर बंदरगाह और टर्मिनल संचालित कर रही है तथा उसका एकाधिकार बना हुआ है।
कांग्रेस सांसद ने किसी कंपनी का नाम लिये बिना कहा, ‘‘यह समूह अब 14 बंदरगाहों और टर्मिनल पर नियंत्रण रखे हुए है। बंगाल से लेकर केरल तक के बंदरगाह उसके नियंत्रण में है। बंदरगाहों का निजीकरण गरीब मछुआरों के लिए समस्या पैदा कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि इन क्षत्रों में हजारों गरीब मछुआरों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।
कांग्रेस के शशि थरूर ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए समुद्र तट पर भूमि के कटाव का मुद्दा उठाया और कहा कि केंद्रीय मंत्रालय सारा दायित्व राज्य सरकार पर डाल रहा है, जबकि राज्य सरकार के पास संसाधन की कमी है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत माता की धरती समुद्र में समा रही है। मेरे निर्वाचन क्षेत्र (तिरुवनंतपुरम) से 64 वर्ग किमी भू-भाग (समुद्र में) समा गया है। इसमें, क्या केंद्र सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। मैं मंत्री से आग्रह करूंगा कि वे भारतीय भू-भाग को बचाने की जिम्मेदारी लें।’’
उन्होंने मछुआरों को केरोसिन की कमी का मुद्दा उठाते हुए सरकार से सवाल किया कि क्या उनकी नौकाओं के लिए उन्नत इंजन पर सब्सिडी दी जाएगी।
कांग्रेस के हिबी ईडन ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सवाल किया कि अपतटीय उत्खनन के लिए क्या किसी एजेंसी या संस्थान से वैज्ञानिक अध्ययन कराया गया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘सरकार पर्यावरण अध्ययन का जिम्मा उसी कंपनी को कैसे दे सकती है, जिसे अपतटीय उत्खनन की निविदा जारी की गई है।’’
रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन के प्रेमचंद्रन ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए आरोप लगाया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र (कोल्लम, केरल) में पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार किये बिना अपतटीय उत्खनन के लिए निविदा जारी की गई है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार इस पर पुनर्विचार करेगी और निविदा को वापस लेगी?
उन्होंने मंत्री से इस बारे में भी जानना चाहा कि क्या सरकार वन अधिकार अधिनियम की तरह समुद्र अधिकार कानून भी बनाना चाहती है ताकि मछुआरों के अधिकारों का संरक्षण हो।
द्रमुक के टी आर बालू ने आरोप लगाया कि समुद्र में मछली पकड़ने जाने वाले मछुआरों को प्रताड़ित किया जा रहा। उन्होंने कहा, ‘‘वह (श्रीलंका) एक छोटा द्वीपीय देश है, लेकिन मछुआरों को काफी परेशानी पैदा कर रहा।’’
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) जब भी श्रीलंका का दौरा करें, वह इस सिलसिले में एक टिकाऊ शांति समझौते पर बातचीत करें।
वहीं, मंत्री ने इस विषय पर अपने जवाब में कहा, ‘‘हम बताना चाहते हैं कि एक संयुक्त कार्य समूह बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने कई बार इस मामले को (श्रीलंका के समक्ष) उठाया है, विदेश मंत्रालय भी बार-बार इस मुद्दे को उठा रहा है। समूह की छह बैठकें हो चुकी हैं।’’
इससे पहले, चर्चा में हिस्सा लेते हुए द्रमुक की कनिमोई ने कहा कि भारतीय मछुआरों की 200 से अधिक नौकाओं को श्रीलंकाई नौसेना ने जब्त कर लिया है। उन्होंने सरकार से यह जानना चाहा कि क्या उन मछुआरों को मुआवजा देने की सरकार की कोई योजना है या नहीं।
कांग्रेस के बेनी बेहनान, शिवसेना (उबाठा) के अरविंद सावंत और समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
भाषा सुभाष सुरेश
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