नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में 2010 से कई जातियों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) दर्जे को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को 28 और 29 जनवरी तक टाल दी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर गौर करते हुए सुनवाई को स्थगित कर दिया कि इस मसले पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने मामले में अपना हलफनामा दायर किया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पैरवी की।
शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 22 मई को पश्चिम बंगाल में कई जातियों को 2010 से दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया था और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण को अवैध करार दिया था।
अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘ इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है।’
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि हटाए गए वर्गों के नागरिक, जो पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं, या राज्य की किसी भी चयन प्रक्रिया में सफल हुए हैं, उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी।
कुल मिलाकर, उच्च न्यायालय ने अप्रैल, 2010 और सितम्बर, 2010 के बीच दिए गए 77 वर्गों के आरक्षण को रद्द कर दिया था।
भाषा खारी नरेश
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