Numbers from 9th to 11th will be added to the 12th board result

12th Board Result Formula : बदल जाएगा 12वीं में रिजल्ट निकालने का फॉर्मूला, जुड़ेंगे 9वीं से 11वीं के तक नंबर, NCERT ने की पहल

बदल जाएगा 12वीं में रिजल्ट निकालने का फॉर्मूला, Numbers from 9th to 11th will be added to the 12th board result

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Modified Date: July 31, 2024 / 02:42 PM IST
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Published Date: July 31, 2024 2:42 pm IST

नई दिल्लीः 9th to 11th will be added to the 12th board result यदि आपके घर में कोई 9वीं से 11वीं तक पढ़ने वाला छात्र है तो यह खबर आपके लिए ही है। दरअसल, अब 12वीं बोर्ड परीक्षा में 9वीं से 11वीं कक्षा तक के अंक जोड़े जाएंगे। यानी अब 9वीं से 11वीं तक के अंकों को मिलाकर 12वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट तैयार किया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की परख इकाई की ओर से शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया गया है।

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9th to 11th will be added to the 12th board result परख ने इस महीने शिक्षा मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है जिसमें सभी स्कूल बोर्डों के मूल्यांकन को एकत्रित करके पेश किया गया है। इस रिपोर्ट में एक मुख्य सिफारिश यह है कि कक्षा 12 के अंतिम रिपोर्ट कार्ड में कक्षा 9, 10 और 11 के प्रदर्शन को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें कक्षा 9 के लिए 15 प्रतिशत, कक्षा 10 के लिए 20 प्रतिशत, कक्षा 11 के लिए 25 प्रतिशत और 12वीं के लिए 40 प्रतिशत का महत्व हो। इस रिपोर्ट के अनुसार, मूल्यांकन फॉर्मेटिव असेसमेंट और समेटिव असेसमेंट के आधार पर होना चाहिए। फॉर्मेटिव असेसमेंट में लगातार क्लासरूम असेसमेंट प्रगति कार्ड, ग्रुप डिस्क्शन और प्रोजेक्ट आदि शामिल है। वहीं समेटिव का मूल्यांकन टर्म-एंड परीक्षाओं के आधार पर होना चाहिए।

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स्कूल बोर्डों से मांगा गया फीडबैक

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार परख की इस रिपोर्ट को सभी स्कूल बोर्डों को भेजकर उनसे फीडबैक मांगा गया है। यही नहीं, इस मुद्दे पर महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के अधिकारियों के साथ पहले दौर की चर्चा भी हो चुकी है। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद कहा जा रहा कि परख के फॉर्मूले के बजाए राज्यों की ओर से दिया गया फॉर्मूला ज्यादा व्यावहारिक लगता है। अगर नौवीं से ही अंकों और कक्षा में कामकाज-व्यवहार को 12वीं के नतीजों में शामिल करने की व्यवस्था होगी तो बच्चों पर काफी कम उम्र में बोझ बढ़ जाएगा। एक कक्षा में अगर रिजल्ट खराब हुआ तो आगे भी खराब ही होता चला जाएगा। इससे बेहतर है कि 10वीं और 12वीं के रिजल्ट बोर्ड की ओर से सुझाए गए फॉर्मूले पर तय किया जाए। दूसरी ओर, शिक्षाविद डॉ। एफडी यादव का कहना है कि यह फॉर्मूला बच्चों के हित में होगा। उन्हें नौवीं कक्षा से ही व्यावहारिक कामकाज और किताबी पढ़ाई के बीच सामंजस्य बैठाना आ जाएगा। उन्हें दबाव झेलने की आदत पड़ेगी। साथ ही साथ केवल किताबी पढ़ाई से ऊपर उठकर बात-व्यवहार सीखने की भी आदत पड़ेगी। केवल किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं रह जाएगी।

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