UCC In Uttarakhand

UCC In Uttarakhand: अब हलाला और बहुविवाह पर लगेगी रोक, लागू हुआ UCC, यहां समझे क्या-क्या हुए बदलाव

UCC In Uttarakhand: अब हलाला और बहुविवाह पर लगेगी रोक, लागू हुआ UCC, यहां समझे क्या-क्या हुए बदलाव

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Modified Date: January 27, 2025 / 04:19 PM IST
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Published Date: January 27, 2025 4:19 pm IST

देहरादून। UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में आज यानी सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गया है। इसके साथ राज्य में कई तरह के बदलाव भी हुए हैं। जिसमें में अब शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्या हो गया है। इसके अलावा इस कानून में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है। मुस्लिम समाज भी इस नियम के दायरे में आएंगे। बता दें कि, 27 जनवरी, 2025 से उत्तराखंड भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता लागू हो गई है। हालांकि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार के फ़ैसले की विपक्षी पार्टियां और कुछ धार्मिक समूहों ने विरोध भी किया है। तो चलिए जानते हैं यूसीसी में और किस तरह के बदलाव किए गए हैं।

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1- शादी के लिए अनिवार्य होगा रजिस्ट्रेशन- यूसीसी के लागू होते ही सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो गया है। इस दिन से हुए सभी विवाह का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। विवाह का पंजीकरण 6 महीने के भीतर कराना अनिवार्य होगा। लोगों को अपने विवाह को ऑनलाइन पंजीकृत करने में मदद करने के लिए सुविधाएं बनाई गई हैं।

2- लिन-इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य- यूनिफॉर्म सिविल कोड में लिन-इन रिलेशन में रहने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी। इन रिश्ते में रहने वाले कपल को रजिस्ट्रार के सामने संबंध की घोषणा करनी होगी, अगर वे संबंध खत्म करना चाहते हैं तो इसकी जानकारी भी रजिस्ट्रार को देनी होगी। लिव- इन से पैदा हुए बच्चे को वैध माना जाएगा। लिव इन रिलेशन टूटने पर महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकेगी। बिना सूचना दिए एक महीने से ज्यादा लिव इन में रहने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।

3- बेटा-बेटी दोनों होंगे संपत्ति में बराबर के हकदार- इसके तहत संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया जाएगा, यानी प्राकृतिक संबंधों के आधार पर जन्मे, सहायक विधियों द्वारा जन्मे या लिव इन आदि संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा।

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4- माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकार- किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसकी संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच किसी प्रकार के मतभेद की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए मृतक की सम्पत्ति पर उसकी पत्नी, बच्चों एवं माता पिता को समान अधिकार प्रदान किया गया है।

5- हलाला-बहुविवाह पर रोक- यूसीसी के तहत सबसे बड़ा बदलाव ये है कि, उत्तराखंड में लागू हुए यूसीसी में इस्लाम में प्रचलित हलाला प्रथा पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा बहुविवाह पर भी रोक लगा दी गई है।

6- सभी धर्मों में 18 साल से पहले नहीं होगी शादी- सभी धर्म के लोग अपने-अपने रीति रिवाजों के अनुसार विवाह कर सकते हैं, लेकिन सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम आयु लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष अनिवार्य कर दी गई है। जिसके तहत अब मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी 18 वर्ष की आयु से पहले नहीं हो सकेगा।

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7-वसीयत की छूट- समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति अपनी पूरी संपत्ति की वसीयत कर सकता है। इससे पहले मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के लिए वसीयत के अलग- अलग नियम थे। जो की अब सभी के लिए समान होंगे।

8-तलाक का भी रजिस्ट्रेशन- इस कानून के माध्यम से जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की तरह ही शादी और तलाक दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। ये पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा।

9-दूसरे धर्म के बच्चे को नहीं ले सकेंगे गोद- यूसीसी के तहत सभी दूसरे धर्म के बच्चों को गोद नहीं लिया जा सकेगा।

10- UCC के दायरे से अनुसूचित जनजातियां बाहर- संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे कि उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। इसके अलावा ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।

 

 

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उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी क्या है?

उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) एक ऐसा कानूनी ढांचा है जो सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून लागू करने की दिशा में एक कदम है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से लाया गया है।

क्या उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी सभी धर्मों पर लागू होगा?

हां, उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी सभी धर्मों, जातियों और समुदायों पर समान रूप से लागू होगा। इसका उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार देना है, बिना किसी धार्मिक या सांस्कृतिक भेदभाव के।

उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी का उद्देश्य क्या है?

इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के बीच समानता लाना, व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देना, और कानून के तहत सभी को समान अधिकार सुनिश्चित करना है। यह पारिवारिक और व्यक्तिगत मामलों में एक समान कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करेगा।

क्या उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी से पहले के कानून बदलेंगे?

जी हां, उत्तराखंड में लागू हुआ यूसीसी से पहले के पारंपरिक और धार्मिक आधारित कानूनों को बदलने की संभावना है। इसके तहत एक समान कानूनी व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाएगा।
 
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