बायोमास, ईंधन का पूरी तरह से दहन न होना वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण : सीपीसीबी ने एनजीटी से कहा |

बायोमास, ईंधन का पूरी तरह से दहन न होना वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण : सीपीसीबी ने एनजीटी से कहा

बायोमास, ईंधन का पूरी तरह से दहन न होना वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण : सीपीसीबी ने एनजीटी से कहा

:   Modified Date:  September 24, 2024 / 10:24 PM IST, Published Date : September 24, 2024/10:24 pm IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को बताया है कि बायोमास और जीवाश्म ईंधन का पूरी तरह से दहन न होना राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का ‘‘प्रमुख कारण’’ है।

एनजीटी ने पहले विभिन्न प्रकार के ईंधन के अधूरे दहन, बायोमास को जलाने, वाहन प्रदूषण-विशेष रूप से पुराने एवं खराब रखरखाव वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण और कोयले के इस्तेमाल से दिल्ली में होने वाले वायु प्रदूषण के मामले में सीपीसीबी से जवाब मांगा था।

सीपीसीबी ने 18 सितंबर की अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने एक अध्ययन किया, जिससे पता चला कि ‘‘बायोमास और जीवाश्म ईंधन का पूरी तरह से दहन न होना ‘ओपी’ (पर्टिक्युलेट मैटर (हवा में मौजूद बारीक कण) की ऑक्सीडेटिव क्षमता) में सबसे ज्यादा योगदान देने वाला कारक है।

‘ओपी’ हवा में मौजूद बारीक कणों के संपर्क में आने पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाता है, जो ठोस पदार्थ, रसायन, तरल पदार्थ और एरोसोल का मिश्रण होते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अध्ययन के मुताबिक, वाहनों के धुएं से निकलने वाला अमोनियम क्लोराइड और कार्बोनिक एरोसोल, आवासीय ताप तथा जीवाश्म ईंधन के जलने पर उठने वाले असंतृप्त वाष्प का ऑक्सीकरण दिल्ली में ‘पर्टिक्युलेट मैटर’ का मुख्य स्रोत हैं…।’’

अध्ययन का हवाला देते हुए सीपीसीबी ने कहा कि वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए प्राधिकारों द्वारा उठाए गए कदमों में बीएस-6 इंजन के अनुरूप वाहनों की शुरुआत शामिल है, जिससे ईंधन की दक्षता और उसके दहन की दर में सुधार लाने में मदद मिली है।

बोर्ड ने बताया कि इन कदमों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के 3,256 पेट्रोल पंप पर वाष्प पुनर्प्राप्ति प्रणाली (वीआरएस) की स्थापना भी शामिल है, जिससे वातावरण में वाष्प के उत्सर्जन और द्वितीयक कार्बोनिक एरोसोल के उत्पादन में कमी लाना संभव हो सका है।

पराली सहित अन्य बायोमास के पूरी तरह से न जलने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फसल अवशेष प्रबंधन उपकरणों की खरीद तथा कृषि उपकरण खरीद केंद्रों की स्थापना के लिए सब्सिडी प्रदान करने के वास्ते एक योजना लागू कर रहा है।’’

रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे में स्थित थर्मल ऊर्जा संयंत्रों और एनसीआर में स्थित औद्योगिक इकाईयों के ऊर्जा संयंत्रों में 5 से 10 प्रतिशत बायोमास को कोयले की मदद से जलाने के निर्देश दिए थे।

इसमें कहा गया है, “एनसीआर में औद्योगिक इकाइयों में ईंधन के रूप में बायोमास के इस्तेमाल की अनुमति है, लेकिन कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।”

रिपोर्ट के अनुसार, सीएक्यूएम ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को पराली जलाने की प्रवृत्ति में कमी लाने और इसे खत्म करने के लिए संशोधित कार्य योजना को सख्ती से और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया है।

भाषा पारुल सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)