नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) दिल्ली प्रदूषण बोर्ड ने दावा किया है कि इस दिवाली वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में कोई खास बदलाव नहीं आया, भले ही प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन किया गया हो।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक बृहस्पतिवार को 328 तक पहुंच गया था जो दिवाली के एक दिन बाद बढ़कर 360 हो गया। इसमें हालांकि ज्यादा वृद्धि नहीं हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल दिवाली की तुलना में पीएम 2.5 के स्तर में चार प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पीएम 10 (जिसमें 10 माइक्रोमीटर या इससे कम व्यास वाले कण होते हैं) के स्तर में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुयी।
पीएम 2.5 सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले सूक्ष्म कण हैं, जिनका व्यास सामान्यतः 2.5 माइक्रोमीटर या इससे भी छोटा होता है, तथा ये स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। पीएम 2.5 के लिए स्वीकार्य वार्षिक मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों में हालांकि दावा किया गया है कि दिल्ली में तीन साल में दिवाली में सबसे अधिक प्रदूषण रहा।
बृहस्पतिवार को शहर का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 330 दर्ज किया गया, जबकि 2023 में यह 218 और 2022 में 312 था।
राष्ट्रीय राजधानी का एक्यूआई शुक्रवार सुबह नौ बजे 362 के साथ ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के ज्यादातर निगरानी स्टेशनों ने प्रदूषण के समान स्तर दिखाए, 39 में से 37 स्टेशनों ने वायु गुणवत्ता को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बताया।
हालांकि, शहरभर में लागू किए गए विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों के कारण इसमें गंभीर वृद्धि से बचा जा सका।
पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी से प्रदूषण के गंभीर स्तर को कम करने में भी मदद मिली। आंकड़ों से पता चला है कि 2023 की तुलना में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में 51 प्रतिशत की कमी आई है।
डीपीसीसी का अनुमान है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता तीन नवंबर तक ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी में रहेगी।
भाषा देवेंद्र रंजन
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