नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को बताया कि किसी सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस या आईएफओएस अधिकारी को जून 2021 के बाद से सांप्रदायिक भाषण या नफरत फैलाने वाले भाषण या फर्जी समाचार प्रसार के मामले में दंडित नहीं किया गया है।
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के बारे में जो सूचना मांगी गयी थी उसे शून्य माना जा सकता है। ’’
अखिल भारतीय सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) शामिल हैं।
मंत्री से यह प्रश्न किया गया था कि ऐसे सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी और प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की संख्या कितनी है जिन्हें जून 2021 से लेकर आज तक सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले भाषण में संलिप्त होने और या सांप्रदायिक भाषण देने अथवा सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक विषय सामग्री साझा करने या फर्जी खबरें साझा करने के लिए दंडित किया गया अथवा सरकार द्वारा कार्रवाई की गयी।
सरकार से यह भी प्रश्न किया गया था कि क्या सेवा नियमों में ऐसे परिवर्तन किए गये हैं जिसमें सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार की आलोचना करने की स्थिति में उनकी पेंशन वापस लिये जाने का प्रावधान है।
मंत्री सिंह ने कहा कि संशोधन भारतीय प्रशासनिक सेवा के ऐसे अधिकारियों के संदर्भ में किया गया है जिन्होंने कभी भी किसी खुफिया संगठन में काम किया हो। इसका उद्देश्य है कि ऐसे अधिकारियों को किसी भी ऐसी संवेदनशील सूचना के प्रकाशन के संदर्भ में विनियमित किया जा सके जिससे देश की संप्रभुता और अखंडता पर प्रभाव पड़ता हो। ये बदलाव अखिल भारतीय सेवाओं (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम,1958 में किए गए हैं।
भाषा माधव वैभव
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