whatsapp message viral against NPR: नईदिल्ली। देश में सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) एनआरसी और एनपीआर को लागू करने की कवायद के बाद से यह विषय लगातार सोशल मीडिया में बना हुआ है। इन कानूनों को लेकर कई प्रकार के दावे भी सोशल मीडिया में किए जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इन कानूनों के लागू होने के बाद नागरिकों को अपने वास्तविक भारतीय होने के दस्तावेज भी दिखाने होगे,या जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उन्हें अब नागरिकता नहीं दी जाएगी आदि भ्रम फैलाने वाले दावे किए जा रहे हैं।
इसी बीच यह व्हाट्सअप मैसेज भी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि आपसे जबरदस्ती कोई कागज मांगने का अधिकार किसी को नहीं है, यह बात भानु प्रताप सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का नाम लिखकर कही जा रही है। बस एनपीआर के लिए भारत के हर नागरिक के पास यही उत्तर काफी है सेक्शन 3 आफ 1955 सिटीजनशिप एक्ट के मुताबिक हम भारतीय अपने जन्म से हैं, इसलिए कागज नहीं दिखाएंगे।”
इसमें कहा गया है कि ”इस आरटीआई का प्रिंट निकाल कर अपने पास रखें, शुभंकर सरकार ने आरटीआई से मोदी की भारतीय नागरिकता के बारे में पता लगाने की अर्जी डाली, जवाब आया सेक्शन 3 का 1955 सिटीजनशिप एक्ट के मुताबिक वह भारतीय अपने जन्म से हैं, इसलिए कागज नहीं दिखाएंगे। ”
बता दें कि यह व्हाट्सएप मैसेज जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है। जिसे आप नीचे देख सकते हैं।
हम आपको बता दें कि नागरिकता संसोधन अधिनियम (सीएए) को दिसंबर 2019 में अधिसूचित किया गया था, लेकिन अभी तक इस कानून को लागू नहीं किया जा सका है। वहीं, सरकार की तरफ से अभी तक देश भर में एनआरसी को लागू करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है। क्योंकि सरकार अभी तक इस कानून को लागू करने के लिए जरूरी नियमों का निर्माण नहीं कर सकी है।
एनपीआर की बात करें तो राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) देश के सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है। यह नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र) नियम: 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय (ग्राम / उप-टाउन), उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जा रहा है। भारत के प्रत्येक सामान्य निवासी के लिए एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। एक सामान्य निवासी को एनपीआर के उद्देश्यों के लिए परिभाषित किया जाता है, जो पिछले 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहता है या एक व्यक्ति जो अगले 6 महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में निवास करने का इरादा रखता है। एनपीआर का उद्देश्य देश में हर सामान्य निवासी का एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। डेटाबेस में जनसांख्यिकीय के साथ-साथ बॉयोमीट्रिक विवरण शामिल होंगे।
आपको बता दें कि आपको इस प्रकार के वायरल और भ्रम फैलाने वाले दावों से सावधान रहना है। कोई भी डॉक्यूमेंट इसलिए ही बनाया जाता है कि आवश्यकता होने पर वह आपके लिए मददगार साबित हो।
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