नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि लिखित राष्ट्रीय सामरिक नीति नहीं होने का अभिप्राय यह नहीं है कि देश में सामरिक नीति का अभाव है।
पुस्तक ‘क्राफ्टिंग ए न्यू इंडियन आर्ट ऑफ वॉर’ के विमोचन के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के मुद्रित प्रारूप के आग्रह का विरोध किया।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के बारे में बात करते हैं, तो मेरा मानना है कि इसमें सफल होने के लिए नीति, प्रक्रियाएं और प्रथाएं शामिल हैं। हमारे देश में, शायद इन तीनों पर ध्यान दिया जाता है। केवल एक चीज नहीं है और वह है एक लिखित नीति। मुझे नहीं पता कि लोग इस पर क्यों जोर देते हैं।’’
जनरल चौहान ने कहा कि अगर हमारे पास कोई नीति नहीं होती तो हम जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने में सफल नहीं हो पाते।
जनरल चौहान ने अपने इस तर्क के समर्थन में 1.4 अरब लोगों के देश में कोविड -19 महामारी के खिलाफ ‘सफल’ लड़ाई का हवाला दिया कि भारत एक व्यापक नीति से वंचित नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर इसके पीछे कोई रणनीति नहीं थी, तो हमने अपना लक्ष्य कैसे हासिल किया? यहां तक कि बालाकोट हवाई हमला और उरी हवाई हमला भी – अगर कोई रणनीति नहीं थी, तो हमने कैसे किया? तो एक रणनीति है, लेकिन जो कमी है वह उसका लिखित स्वरूप में नहीं होना है। और लिखित दस्तावेज़ वास्तव में मायने नहीं रखता।’’
उन्होंने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘उनके (इजराइल) पास कोई लिखित नीति नहीं है, लेकिन उनके पास एक नीति है और वे उस नीति का पालन करते हैं।’’
भाषा धीरज वैभव
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