नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका के वृक्ष प्राधिकरण (वन प्रशासन) को निर्देश दिया कि वह उसकी अनुमति के बिना मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों की कोई और कटाई न होने दे।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि वन प्रशासन आवेदनों पर कार्यवाही कर सकता है और फिर वह अदालत से आदेश ले।
शीर्ष अदालत के इस आदेश से पहले मुंबई मेट्रो रेल निगम (एमएमआरसीएल) ने पीठ को बताया कि क्षेत्र में और पेड़ काटने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख पांच मार्च तय की है।
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया था कि क्या आरे वन में और पेड़ काटने का कोई प्रस्ताव है।
शीर्ष अदालत ने 2023 में वनवासियों को मेट्रो रेल परियोजना की खातिर वन में पेड़ों की कटाई पर अपनी शिकायत को लेकर बंबई उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने 17 अप्रैल, 2023 को मुंबई मेट्रो को ‘कार शेड परियोजना’ के लिए जंगल में केवल 84 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के अपने आदेश का उल्लंघन करने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी और उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि एमएमआरसीएल की ओर से 84 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए वृक्ष प्राधिकरण को आवेदन देना अनुचित था।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए कंपनी को आरे जंगल से 177 पेड़ हटाने की अनुमति दे दी कि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से सार्वजनिक परियोजना ठप हो जाएगी जो वांछनीय नहीं है।
शीर्ष अदालत ने 2019 में कानून के छात्र ऋषभ रंजन द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजे गये एक पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की अपील की गई थी।
भाषा राजकुमार नरेश
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