एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों के लिए शिक्षकों की पात्रता के कुछ नियमों में ढील दी |

एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों के लिए शिक्षकों की पात्रता के कुछ नियमों में ढील दी

एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजों के लिए शिक्षकों की पात्रता के कुछ नियमों में ढील दी

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Modified Date: January 21, 2025 / 05:30 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 5:30 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने प्रस्ताव दिया है कि स्नातकोत्तर चिकित्सा डिग्री रखने वाले गैर-शिक्षण सलाहकार, विशेषज्ञ और चिकित्सा अधिकारी, जिन्होंने कम से कम 220 बिस्तर वाले शिक्षण या गैर-शिक्षण सरकारी अस्पताल में न्यूनतम चार साल तक काम किया है, वे सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर बन सकते हैं।

हाल में ‘चिकित्सा संस्थानों के विनियमन में शिक्षक पात्रता योग्यता (टीईक्यू)’ के मसौदे में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल कॉलेजों के लिए शिक्षकों की पात्रता के कुछ मानदंडों में ढील दी है।

साल 2022 में जारी किए गए पिछले मानदंडों में गैर-शिक्षण चिकित्सकों को 330 बिस्तर वाले गैर-शिक्षण अस्पताल में दो साल तक काम करने के बाद सहायक प्रोफेसर बनने की अनुमति दी गई थी, जबकि अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में बदल दिया गया हो।

एनएमसी ने मसौदा विनियमों को सार्वजनिक किया है और इस पर हितधारकों से टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। मसौदा विनियमों में कहा गया है, ‘‘परास्नातक चिकित्सा डिग्री रखने वाले गैर-शिक्षण परामर्शदाता/विशेषज्ञ/चिकित्सा अधिकारी, जो कम से कम 220 बिस्तर वाले शिक्षण/गैर-शिक्षण सरकारी अस्पताल में कम से कम चार साल तक काम कर रहे हों, उस व्यापक विशेषता के सहायक प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होंगे। ऐसे पद के लिए पात्र होने से पहले उन्हें जैवचिकित्सा अनुसंधान (बीसीबीआर) में मूलभूत पाठ्यक्रम पूरा करना होगा।’’

मानदंडों में ढील देने के अलावा, मसौदा विनियमों में कहा गया है कि 8 जून, 2017 से पहले वरिष्ठ रेजिडेंट के रूप में नियुक्त और उसी संस्थान में लगातार वरिष्ठ रेजिडेंट के रूप में काम कर रहे डिप्लोमा धारक सहायक प्रोफेसर के पद के लिए पात्र होंगे।

इसके अलावा, एक वरिष्ठ परामर्शदाता, जिसे एनबीईएमएस मानदंडों के तहत पीजी शिक्षक के रूप में मान्यता प्राप्त है और जो एनबीईएमएस मान्यता प्राप्त पीजी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने वाले सरकारी चिकित्सा संस्थान में पीजी शिक्षक के रूप में काम कर रहा है/कर चुका है, वह पीजी शिक्षक के रूप में तीन साल का अनुभव पूरा करने पर अपनी विशेषता के एनएमसी मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर बनने के लिए पात्र होगा।

मसौदा विनियमन में आगे कहा गया है कि किसी मेडिकल कॉलेज या संस्थान में सहायक प्रोफेसर और उससे उच्च पद से संबंधित विशेषता में कुल पांच साल का शिक्षण अनुभव रखने वाले संकाय सदस्य को उस विशेषता में स्नातकोत्तर मार्गदर्शक (पीजी गाइड) के रूप में मान्यता दी जाएगी।

भाषा वैभव माधव

माधव

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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