एनआईटी राउरकेला ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के लिए नयी कैथोड प्रौद्योगिकी विकसित की |

एनआईटी राउरकेला ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के लिए नयी कैथोड प्रौद्योगिकी विकसित की

एनआईटी राउरकेला ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि के लिए नयी कैथोड प्रौद्योगिकी विकसित की

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Modified Date: January 17, 2025 / 04:35 PM IST
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Published Date: January 17, 2025 4:35 pm IST

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), राउरकेला के अनुसंधानकर्ताओं ने लिथियम-आयन बैटरी के लिए कैथोड सामग्री की एक नयी श्रेणी विकसित की है, जो कोबाल्ट-आधारित डिजाइन का एक आशाजनक विकल्प पेश करती है।

यह नवाचार पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरी में एक प्रमुख घटक कोबाल्ट की उच्च लागत, कमी और पर्यावरणीय चिंताओं से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करेगा।

अनुसंधान टीम ने कोबाल्ट के टिकाऊ और किफायती विकल्प के रूप में मैग्नीशियम आधारित कैथोड सामग्री विकसित की है।

एनआईटी राउरकेला में सिरेमिक इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर पार्थ साहा ने कहा कि स्मार्टफोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) जैसे उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करने वाली लिथियम-आयन बैटरी में मुख्य रूप से कोबाल्ट आधारित कैथोड का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने कहा कि हालाँकि, कोबाल्ट कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, जिनमें इसकी उच्च लागत और मूल्य अस्थिरता तथा सीमित उपलब्धता आदि शामिल है।

साहा ने कहा, ‘‘लिथियम-आयन बैटरी की मांग बढ़ती जा रही है। ये मुद्दे लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। अनुमानों से संकेत मिलता है कि 2050 तक कोबाल्ट की वैश्विक आपूर्ति बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पाएगी, जिससे वैकल्पिक सामग्री विकसित करने की तत्काल आवश्यकता को बल मिलता है।’’

मैग्नीशियम के कई लाभ हैं। यह सस्ता है और भारत में प्रचुर मात्रा में व्यापक रूप से उपलब्ध है। तमिलनाडु, उत्तराखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों में इसके महत्वपूर्ण भंडार हैं।

इसके अतिरिक्त, मैग्नीशियम पर्यावरण के अनुकूल है जो बैटरी उत्पादन के पारिस्थितिकी प्रभाव को कम करने में मदद करता है।

साहा ने कहा, ‘‘हमारे अनुसंधान से पता चलता है कि नए कैथोड में 100 ‘चार्ज-डिस्चार्ज’ चक्रों के बाद इसकी मूल क्षमता का 74.3 प्रतिशत बरकरार रहता है, जो पारंपरिक कोबाल्ट-आधारित कैथोड में देखी गई तीव्र क्षमता हानि की तुलना में एक महत्वपूर्ण सुधार है।’’

उन्होंने बताया कि इस सफलता के व्यापक निहितार्थ और अनुप्रयोग हैं तथा यह इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सस्ती और उच्च प्रदर्शन वाली बैटरी बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है, जिससे बढ़ते ईवी उद्योग में इसका महत्वपूर्ण योगदान होगा।

साहा ने कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त, यह सतत विकास के लिए आवश्यक किफायती ऊर्जा भंडारण समाधान उपलब्ध कराकर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करेगी। आयातित सामग्री पर निर्भरता को कम करके यह नवाचार बैटरी उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता को भी बढ़ाएगी जिससे वैश्विक ऊर्जा बाजार में देश की स्थिति मजबूत होगी।’’

भाषा नेत्रपाल मनीषा

मनीषा

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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