नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) राहुल गांधी पर गृह मंत्री अमित शाह का ‘‘आपराधिक तौर पर संपादित’’ भाषण दिखाने का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ अध्यक्ष ओम बिरला को विशेषाधिकार हनन का नोटिस सौंपा है।
बिरला को भेजे पत्र में दुबे ने आरोप लगाया कि गांधी ने सोशल मीडिया, विशेषकर ‘एक्स’ पर शाह के राज्यसभा में दिए गए भाषण को तोड़-मरोड़ कर उसके ‘‘संपादित’’ अंश को साझा करके ‘‘राजनीतिक दिवालियापन’’ का एक और उदाहरण पेश किया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य जनता की भावनाओं को भड़काना तथा संसद और देश की गरिमा को कम करना है।
कांग्रेस ने संविधान पर चर्चा के दौरान शाह के भाषण की एक छोटी क्लिप साझा करते हुए उन पर संविधान निर्माता बाबासाहेब बी. आर. आंबेडकर का अपमान करने का आरोप लगाया है। गृह मंत्री ने पार्टी पर उनके भाषण को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है।
दुबे ने कहा कि गृह मंत्री ने अपने भाषण में आंबेडकर के साथ किसी और द्वारा नहीं बल्कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा किए गए आपत्तिजनक व्यवहार का मुद्दा उठाया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी ने संसद की कार्यवाही के साथ-साथ शाह के भाषण को भी चतुराई से और संदर्भ से हटकर उद्धृत किया, जिसका एकमात्र उद्देश्य न केवल संसद की गरिमा को कम करना था, बल्कि शाह को बदनाम करना भी था।
दुबे ने कहा, ‘‘इस बार उन्होंने (गांधी ने) लोकसभा में विपक्ष के नेता से अपेक्षित विवेकशील व्यवहार की सभी सीमाएं लांघ दीं और इस तरह उन्होंने ‘संसदीय विशेषाधिकारों के उल्लंघन’ और ‘सदन की अवमानना’ का अपराध किया है, जिसके लिए कठोर सजा आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा कि यह सजा सदन और इसकी समितियों से उनके तत्काल निलंबन और उसके बाद विशेषाधिकार समिति द्वारा गहन जांच से कम नहीं हो सकती।
अब यह अध्यक्ष का विशेषाधिकार होगा कि वह दुबे के पत्र पर क्या कार्रवाई करें।
चौथी बार भाजपा सांसद बने दुबे ने आरोप लगाया कि गांधी के पास अमेरिका स्थित अरबपति निवेशक और उदारवादी कार्यकर्ता जॉर्ज सोरोस को खुश करने के लिए संसदीय कदाचारों की एक लंबी सूची है।
उन्होंने गांधी पर अशांति फैलाने के प्रयास का आरोप लगाया और दावा किया कि यह महज संयोग नहीं है कि सरकार या वैधानिक निकायों को निशाना बनाने के लिए ‘‘मनगढ़ंत’’ लेख संसद सत्र से ठीक पहले प्रकाशित किए जाते हैं और कांग्रेस नेता उनका इस्तेमाल महत्वपूर्ण पदाधिकारियों और संस्थानों को बदनाम करने के लिए करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गांधी झूठे और मनगढ़ंत बयानों के जरिए जनता की भावनाओं को हमेशा भड़काते रहते हैं।’’
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा
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