एनजीटी ने हितों के टकराव के आधार पर न्यायिक सदस्य को सुनवाई से अलग करने की अर्जी खारिज की |

एनजीटी ने हितों के टकराव के आधार पर न्यायिक सदस्य को सुनवाई से अलग करने की अर्जी खारिज की

एनजीटी ने हितों के टकराव के आधार पर न्यायिक सदस्य को सुनवाई से अलग करने की अर्जी खारिज की

:   Modified Date:  September 24, 2024 / 09:13 PM IST, Published Date : September 24, 2024/9:13 pm IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने जल प्रदूषण से संबंधित एक मामले में हितों के संभावित टकराव के आधार पर एक न्यायिक सदस्य को सुनवाई से अलग करने के अनुरोध वाली एक अधिवक्ता की याचिका खारिज कर दी।

एनजीटी ने कहा कि यदि वकीलों को न्यायाधीश को सुनवाई से अलग करने का आधार बनाने की अनुमति दी गई तो इससे ‘‘ न्याय प्रणाली की बुनियाद’’ नष्ट हो जाएगी।

न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि न्यायमित्र (अदालत मित्र) की नियुक्ति पीठ का ‘‘एकमात्र विशेषाधिकार’’ है। हरित अधिकरण ने हितों के टकराव के अधिवक्ता गौरव बंसल के तर्क को खारिज कर दिया। दरअसल न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल के पुत्र अधिवक्ता गौरव अग्रवाल को न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की पीठ द्वारा न्यायमित्र नियुक्त किया जा रहा है।

न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने मामले की सुनवाई में पक्षपात की आशंका के आधार पर न्यायमूर्ति अग्रवाल को सुनवाई से अलग करने की मांग की थी।

पीठ ने 20 सितंबर को पारित किए गए आदेश में कहा, ‘‘ ऐसे मामले में जहां किसी वकील या पक्षकार को आधार बनाने और उसके बाद मामले से अलग होने की अनुमति दी जाती है, तो इससे न्याय प्रणाली की बुनियाद ही नष्ट हो जाएगी।’’

पीठ ने विस्तृत आदेश देते हुए अर्जी खारिज कर दी।

भाषा शोभना पवनेश

पवनेश

 

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