नेल्लोर (आंध्र प्रदेश), 27 मार्च (भाषा) पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू समर्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘स्वर्ण भारत ट्रस्ट’ (एसबीटी) ने 14 साल पहले गुम हुए एक लड़के को उत्तर प्रदेश में उसके परिवार से मिला दिया है।
प्रबंध न्यासी दीपा वेंकट के नेतृत्व में नेल्लोर स्थित एनजीओ ने नीरज को उत्तर प्रदेश के बड़ागांव निवासी उसके पिता पुनवास कन्नौजिया से होली (14 मार्च) के दिन मिलाने का काम किया।
एनजीओ ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश के बड़ागांव के पुनवास कन्नौजिया और उनके परिवार को उनका बेटा नीरज मिल गया है, जो 14 साल पहले लापता हो गया था। यह दीपा वेंकट (एसबीटी मैनेजिंग ट्रस्टी) के प्रयासों से संभव हुआ।’’
नीरज आठ वर्ष की आयु में मुंबई में अपने परिवार से अलग हो गया था। नीरज गुडूर रेलवे पुलिस को मिला था। नीरज अब लगभग 21 वर्ष का है।
एनजीओ के अनुसार, नीरज के पिता अपने दो बेटों, नीरज और धीरज के साथ आजीविका की तलाश में मुंबई चले गए थे तथा अपनी पत्नी और बेटियों को उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गांव में छोड़ दिया था।
एनजीओ के अनुसार, नीरज अक्सर अपने पिता से मुंबई घुमाने के लिए कहता था, लेकिन कन्नौजिया मना कर देते थे। एनजीओ ने कहा कि घूमने की लालसा से प्रेरित होकर, नीरज ने अपने पिता की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और एक दिन चुपके से घर से भाग गया और मुंबई की एक लोकल ट्रेन में सवार हो गया।
एनजीओ के अनुसार, एक रोमांचकारी ट्रेन यात्रा के रूप में शुरू हुआ उक्त सफर विभिन्न राज्यों से होते हुए दो महीने की लंबी यात्रा में तब्दील हो गया और आखिरकार नीरज नेल्लोर जिले के गुडूर पहुंचा। एनजीओ के अनुसार, वहां नीरज रेलवे पुलिस को मिला और उसकी देखभाल का जिम्मा एसबीटी को सौंप दिया गया।
एनजीओ के अनुसार, एसबीटी के ब्रिज स्कूल में वेंकट ने व्यक्तिगत रूप से नीरज की शिक्षा और कौशल विकास की देखरेख की।
एनजीओ के अनुसार, समय बीता और एसबीटी ने सीमित जानकारी के आधार पर नीरज के परिवार का पता लगाने के कई प्रयास किए। एनजीओ के अनुसार, वेंकट ने नीरज को एसबीटी के एक वरिष्ठ कर्मचारी के साथ मुंबई के ईस्ट मलाड में उसके परिवार की तलाश के लिए भेजा।
एनजीओ के अनुसार, दुकानदारों, जूस विक्रेताओं और यहां तक कि स्थानीय पुलिस से पूछताछ के बाद, वे आखिरकार उत्तर प्रदेश में उसके परिवार से संपर्क करने में सफल रहे।
एनजीओ के अनुसार, वेंकट ने फिर नीरज के लिए मुंबई से बड़ागांव तक की यात्रा की व्यवस्था की, जहां वह अपने परिवार से फिर से मिल गया। एनजीओ के अनुसार, जब नीरज एयरपोर्ट से बाहर निकला, तो उसके प्रियजनों ने 14 साल के अलगाव के बाद खुशी से अभिभूत होकर उसे गले लगा लिया।
भाषा
अमित पवनेश
पवनेश
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