New Criminal Law: आज से देशभर में लागू होंगे 3 नए आपराधिक कानून, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में भी आएगा बदलाव |

New Criminal Law: आज से देशभर में लागू होंगे 3 नए आपराधिक कानून, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में भी आएगा बदलाव

New Criminal Law: आज से देशभर में लागू होंगे 3 नए आपराधिक कानून, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में भी आएगा बदलाव

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Modified Date: July 1, 2024 / 08:15 AM IST
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Published Date: July 1, 2024 8:15 am IST

New Criminal Law: आज से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे और औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा। आज से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम ले लेगी। वहीं नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी, जिसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे।

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कैदियों के लिए किया ये प्रावधान

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया और संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का एक तंत्र मुहैया कराया गया है। CRPC में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं। इसमें ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है। वहीं, नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का प्रावधान है।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नये कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी। इन कानूनों को भारतीयों ने, भारतीयों के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाया गया है और यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं। वहीं नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।

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अथॉरिटी से मिलेगी इजाजत

New Criminal Law: वहीं बताया गया कि कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा। FIR होने के 15 दिनों के भीतर उसे ओरिजिनल जूरिडिक्शन यानी जहां का मामला है वहां भेजना होगा। पुलिस ऑफिसर या सरकारी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिन में संबंधित अथॉरिटी से इजाजत मिलेगी, अगर नहीं मिली तो उसे ही सेंक्शन मान लिया जाएगा। इसके साथ ही मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के भीतर जजमेंट देना होगा। जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। ऑफलाइन, ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी।

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1.आपराधिक मामलों के जितने भी फैसला सुनाए जाते हैं, उनमें पहले सुनवाई के बाद फैसला देने में 60 दिन तक लग जाते थे, लेकिन अब यह अवधि 45 दिन की होने जा रही है यानी की 15 दिनों की कटौती।

2. बलात्कार पीड़ितों का जब भी मेडिकल किया जाएगा, हर कीमत पर 7 दिनों के अंदर में रिपोर्ट आनी होगी।

3. जो नए कानून लागू हुए हैं उसमें अब बच्चों को खरीदना या बेचना जगन्य अपराध माना जाएगा। इसी तरह अगर नाबालिक के साथ बलात्कार होता है तो आजीवन कारावास या फिर मृत्यु दंड की सजा भी मिल सकती है।

4. अब अगर शादी के झूठे वादे कर महिला को छोड़ दिया जाएगा तो इसको लेकर भी दंड के सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं।

5. चाहे आरोपी हो या फिर पीड़ित, दोनों को 14 दिनों के अंदर में पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट मिलने का पूरा अधिकार रहने वाला है।

6. महिलाओं के खिलाफ जब अपराध होगा तब सभी अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करना होगा, अगर बच्चों के साथ अपराध होंगे तब भी अस्पताल मुफ्त इलाज के लिए बाध्य रहेंगे।

7. इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही किसी भी मामले में FIR दर्ज की जा सकेगी, पहले की तरह पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं रहेगी। अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर भी अगर वो चाहे तो FIR दर्ज करवा पाएगा।

8. अगर गंभीर अपराध होंगे तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स का घटनास्थल पर जाना जरूरी होगा, पहले जरूरत के मुताबिक यह फैसले लिए जाते थे।

9. लिंग की परिभाषा में ट्रांसजेंडर समाज के लोगों को भी शामिल कर लिया गया है। इससे समानता को बढ़ावा मिलेगा और जमीन पर स्थिति बदलेगी।

10. महिला पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए। बलात्कार जैसे मामलों में ऑडियो-वीडियो माध्यम से बयान दर्ज होने चाहिए।

 

 

 

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