उच्चतम न्यायालय की गरिमा कम करने का कभी कोई इरादा नहीं था: आईएमए प्रमुख ने माफी मांगी |

उच्चतम न्यायालय की गरिमा कम करने का कभी कोई इरादा नहीं था: आईएमए प्रमुख ने माफी मांगी

उच्चतम न्यायालय की गरिमा कम करने का कभी कोई इरादा नहीं था: आईएमए प्रमुख ने माफी मांगी

:   Modified Date:  July 4, 2024 / 09:35 PM IST, Published Date : July 4, 2024/9:35 pm IST

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रमुख डॉ. आर. वी. अशोकन ने एक मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी के संबंध में एक साक्षात्कार के दौरान अपने द्वारा दिए गए बयान को लेकर बृहस्पतिवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि वह अपने वक्तव्य के लिए खेद व्यक्त करते हैं और न्यायालय की गरिमा को कम करने का उनका कभी कोई इरादा नहीं था।

उच्चतम न्यायालय ने जिस मामले में सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी उसमें आईएमए एक पक्ष थी।

चिकित्सकों के संगठन की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया, ‘‘आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर आर. वी. अशोकन ने आईएमए के एक पक्ष होने से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी के संबंध में प्रेस को दिए अपने बयान को लेकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है।’’

डॉ. अशोकन ने 23 अप्रैल के आदेश का जिक्र करते हुए एक बयान में कहा कि आईएमए भी कदाचार के मुद्दों के बारे में समान रूप से चिंतित है।

शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़े भ्रामक विज्ञापन संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि उसका मानना है कि आईएमए को भी अपना घर ठीक करने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में भी डॉ. अशोकन ने शीर्ष अदालत के खिलाफ अपने बयान को लेकर बिना शर्त माफी मांगी थी।

डॉ. अशोकन ने कहा, ‘आईएमए ने आधुनिक चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे भ्रामक विज्ञापन और दुर्भावनापूर्ण अभियानों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की है। पीटीआई न्यूज के साथ एक साक्षात्कार के दौरान मेरे द्वारा दिए गए कुछ बयानों के संदर्भ में, मैंने उच्चतम न्यायालय के समक्ष खेद व्यक्त किया है। मैंने बिना शर्त माफी मांगने के लिए अदालत में अपना हलफनामा भी जमा कर दिया है।”

उन्होंने अपने माफीनामे में कहा, ”शीर्ष अदालत के महत्व या गरिमा को कम करने का मेरा कभी कोई इरादा नहीं था।”

उच्चतम न्यायालय ने कहा था, ‘‘एसोसिएशन के सदस्यों के बारे में कथित अनैतिक कृत्यों से संबंधित कई शिकायतें हैं जो मरीजों द्वारा उन पर जताए जाने वाले भरोसे को तोड़ते हैं। वे न केवल बेहद महंगी दवाएं लिख रहे हैं, बल्कि टालने योग्य/अनावश्यक जांच की भी सिफारिश कर रहे हैं।’’

डॉ. अशोकन ने कहा कि नैतिक प्रथाओं का निरंतर अद्यतनीकरण और प्रसार आईएमए की मुख्य गतिविधियों में से एक है।

बयान में कहा गया कि हाल में आईएमए ने मरीजों की चिंताओं को दूर करने के लिए रोगी समूहों को एक संवाद में शामिल किया और बेंगलुरु में एक संयुक्त घोषणा जारी की गई।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)