गुप्तचर एजेंसियों की संसदीय निगरानी के लिए कानून बनाने की जरूरत: मनीष तिवारी |

गुप्तचर एजेंसियों की संसदीय निगरानी के लिए कानून बनाने की जरूरत: मनीष तिवारी

गुप्तचर एजेंसियों की संसदीय निगरानी के लिए कानून बनाने की जरूरत: मनीष तिवारी

:   Modified Date:  October 19, 2024 / 05:34 PM IST, Published Date : October 19, 2024/5:34 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कनाडा एवं अमेरिका के हालिया आरोपों की पृष्ठभूमि में कहा है कि संसदीय निगरानी के माध्यम से भारतीय खुफिया एजेंसियों के नियमन की जरूरत है तथा इसके लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए।

चंडीगढ़ से लोकसभा सदस्य ने पहले ही इस संबंध में एक गैर सरकारी विधेयक का मसौदा पेश किया है तथा इन एजेंसियों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए राष्ट्रीय गुप्तचर न्यायाधिकरण स्थापित करने की मांग भी की है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां की पुलिस ने पिछले दिनों यह आरोप लगाया था भारतीय राजनयिक कनाडा में सिख अलगाववादियों के बारे में अपनी सरकार के साथ जानकारी साझा करके उन्हें निशाना बना रहे थे।

पिछले साल सितंबर में कनाडा में भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता के प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं।

भारत ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है और अपनी एजेंसियों या अधिकारियों की किसी भी संलिप्तता से इनकार किया है।

तिवारी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अब समय आ गया है कि खुफिया एजेंसियों की संसदीय निगरानी को लेकर विचार हो। अगर हमारी गुप्तचर सेवाओं के लिए कानूनी आधार और एक मजबूत संसदीय निगरानी तंत्र प्रदान करने पर मेरे गैर सरकारी विधेयक को 2011 से 2024 तक की सरकारों द्वारा स्वीकार कर लिया गया होता, तो भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को शर्मिंदा करने वाली स्थिति में नहीं होता।’’

उनके मुताबिक, उन्होंने पहली बार इस विधेयक को 2011 के बजट सत्र में, फिर 2021 के शीतकालीन सत्र में और फिर 9 अगस्त, 2024 को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया।

तिवारी ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘15 साल पहले मैंने ‘ओआरएफ’ (ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन) के लिए एक नीतिगत विवरण लिखा था कि खुफिया एजेंसियों को उचित कानूनी आधार पर और संसदीय निगरानी के अधीन क्यों रखा जाना चाहिए… यह पेपर मेरे गैर सरकारी विधेयक का आधार बन गया।’’

‘गुप्तचर सेवा (शक्तियां और विनियमन) विधेयक, 2024’ में तिवारी ने भारत के क्षेत्र के भीतर और बाहर भारतीय खुफिया एजेंसियों की शक्तियों के उपयोग और कामकाज के तौर-तरीके को विनियमित करने और एजेंसियों के समन्वय, नियंत्रण और निगरानी की पैरवी की है।

तिवारी ने गुप्तचर ब्यूरो, ‘रॉ’ और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के लिए एक विधायी और नियामक ढांचा बनाने और इन एजेंसियों द्वारा संचालन के लिए अधिकृत प्रक्रिया और वारंट की प्रणाली के संबंध में एक प्राधिकरण स्थापित करने के मकसद से कानून बनाने का भी आह्वान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजकीय यात्रा के आसपास अमेरिकी धरती पर सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में कथित भूमिका के लिए अमेरिकी अधिकारियों ने भारत एक पूर्व अधिकारी विकास यादव पर आरोप लगाया है। पन्नू को भारत ने आतंकवादी घोषित किया है।

तिवारी ने अपने विधेयक के माध्यम से इन एजेंसियों के प्रभावी निगरानी तंत्र के लिए एक राष्ट्रीय खुफिया और सुरक्षा निरीक्षण समिति और एजेंसियों के कुशल कामकाज के लिए एक गुप्तचर लोकपाल की स्थापना की मांग की।

उनके विधेयक के अनुसार, निरीक्षण समिति में राज्यसभा के सभापति अध्यक्ष हों और लोकसभा के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विपक्ष के नेता शामिल हों। लोकसभा, राज्यसभा में विपक्ष के नेता; और लोक सभा और राज्यसभा से एक-एक सदस्य को संबंधित सदनों के पीठासीन अधिकारियों द्वारा सदस्यों के रूप में नामित किया जाए।

कांग्रेस नेता ने प्रस्तावित किया कि राष्ट्रीय गुप्तचर न्यायाधिकरण का अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय का कोई वर्तमान या फिर सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो, जिसे केंद्र सरकार प्रधान न्यायाधीश के परामर्श से नियुक्त करेगी।

विधेयक में कहा गया है कि इसमें एक सदस्य ऐसा होगा जो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश है या पहले रहा है, जिसे संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा और एक सदस्य जो उन व्यक्तियों में से नियुक्त किया जाएगा जो आईबी या रॉ के प्रमुख रहे हैं। कांग्रेस नेता ने प्रस्तावित किया है कि सदस्य को आईबी या रॉ को दोनों सेवाओं से वैकल्पिक रूप से नियुक्त किया जाए।

तिवारी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि विभिन्न प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अन्य रूपों की निगरानी को विनियमित करने के लिए एक उचित कानूनी ढांचे की भी आवश्यकता है।

इस गैर सरकारी विधेयक में उन्होंने एक कानून की तत्काल आवश्यकता की मांग करते हुए कहा, खुफिया एजेंसियों की निगरानी, शक्तियों के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करके व्यक्तियों की सुरक्षा और गोपनीयता की मांगों को संतुलित करने की तत्काल आवश्यकता है।

भाषा हक हक धीरज

धीरज

 

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