कोलकाता, 17 जनवरी (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) नेता प्रकाश करात ने ‘‘भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताना-बाना को नष्ट करने’’ का प्रयास करने वाली ताकतों के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई की आवश्यकता पर शुक्रवार को जोर दिया।
यहां ज्योति बसु सामाजिक अध्ययन एवं शोध केंद्र के प्रथम चरण का उद्घाटन करते हुए माकपा पोलित ब्यूरो समन्वयक ने इन ताकतों पर ‘‘हिंदुत्व को देश की आधिकारिक विचारधारा बनाने’’ का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों के खिलाफ लड़ाई केवल चुनावी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह तर्कहीन ताकतों के खिलाफ राजनीतिक और वैचारिक लड़ाई है।
करात ने कहा कि छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाये जाने के बाद पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने ‘‘इस विध्वंस के पीछे मौजूद पार्टी और ताकतों को बर्बर करार दिया था।’’
भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन में बसु के योगदान और नेतृत्व को याद करते हुए करात ने कहा, ‘‘जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है, बसु इस बात के उदाहरण थे कि कम्युनिस्टों को कामकाजी लोगों के हितों को आगे बढ़ाने तथा वामपंथी और लोकतांत्रिक आंदोलन को मजबूत करने के लिए विधानसभाओं एवं राज्य सरकारों में कैसे काम करना चाहिए।’’
करात ने कहा, ‘‘कॉमरेड ज्योति बसु हमारे देश में कम्युनिस्ट और वामपंथी आंदोलन द्वारा की गई प्रगति के प्रतीक थे।’
इस अवसर पर रवींद्रसंगीत गायिका रेजवाना चौधरी बन्न्या विशेष अतिथि थीं। वहीं, वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस और माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने भी अपने विचार रखे।
भाषा यासिर सुभाष
सुभाष
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)