जलवायु कार्रवाई, एसडीजी को आगे बढ़ाने के लिए नए संस्थानों की जरूरत : अमिताभ कांत |

जलवायु कार्रवाई, एसडीजी को आगे बढ़ाने के लिए नए संस्थानों की जरूरत : अमिताभ कांत

जलवायु कार्रवाई, एसडीजी को आगे बढ़ाने के लिए नए संस्थानों की जरूरत : अमिताभ कांत

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Modified Date: February 24, 2023 / 04:42 PM IST
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Published Date: February 24, 2023 4:42 pm IST

नई दिल्ली, 24 फरवरी (भाषा) भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया को जलवायु कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने के लिए नए संस्थानों की जरूरत है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक जैसे संगठन इन चुनौतियों से निपटने के लिए नहीं बने हैं।

‘विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन’ में ‘‘भारत की जी-20 अध्यक्षता : विकासशील देशों के लिए कार्रवाई योग्य एजेंडा तैयार करना’’ विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते हुए कांत ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि चुनौतियां ‘‘बाहरी’’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक साल से जारी युद्ध को देखा है, हम नहीं जानते कि आने वाले दिनों में यह क्या आकार लेगा। जी-20 अनिवार्य रूप से आम सहमति बनाने का एक मंच है।’’

उन्होंने कहा कि यूरोप में भू-राजनीति में सुधार नहीं हो रहा है क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध एक साल से चल रहा है और इसके हालात बिगड़ते जा रहे हैं।

कांत ने कहा कि जी-20 बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85 फीसदी और वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी इससे जुड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘‘जी20 अनिवार्य रूप से आम सहमति बनाने का मंच है, आपको कई मुद्दों पर आम सहमति की जरूरत होती है…’’

उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया ने कभी नहीं सोचा था कि राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बने वैश्विक निकाय सुरक्षा परिषद (संयुक्त राष्ट्र) में जिन पांच देशों में वीटो शक्ति निहित है, उन्हीं में से एक देश युद्ध में चला जाएगा …’’

उन्होंने कहा ,‘‘ जलवायु कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए वैश्विक संसाधनों की आवश्यकता होती है । कोपेनहेगन जलवायु शिखर सम्मेलन में, विकसित देशों ने विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिए 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डालर जुटाने की प्रतिबद्धता जतायी थी, जिस पर वे खरे नहीं उतरे हैं। ’’

उन्होंने कहा,‘‘ दुनिया में पूंजी की कोई कमी नहीं है, लेकिन आपको नए संस्थानों की आवश्यकता है। आपको क्रेडिट बढ़ाने, नुकसान की गारंटी जैसे नए साधनों की आवश्यकता है … इसके लिए आपको वास्तव में विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे संस्थानों में सुधार करने की आवश्यकता होगी, जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद में बनाया गया था और जो जलवायु कार्रवाई और एसडीजी लक्ष्यों की चुनौती से मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अध्यक्षता कार्रवाई उन्मुख, निर्णायक और समावेशी बनी रहेगी।’’

भाषा

शफीक नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)