नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने संबंधी प्रस्ताव के नोटिस को लेकर बुधवार को सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों के बीच रार देखने को मिली जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नेताओं ने इस कवायद को ‘राजनीति से प्रेरित’ करार दिया तो वहीं विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि नोटिस का उद्देश्य कांग्रेस नेतृत्व और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों के मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाना है।
शिक्षा राज्य मंत्री ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, वह किसी गैर मुद्दे को मुद्दा बनाकर किसी बात को छिपाने के लिए लाया गया है। यह सोनिया गांधी के साथ जॉर्ज सोरोस के संबंध को छिपाने के लिए है क्योंकि अगर यह सामने आता है तो कांग्रेस के लिए समस्याएं होंगी। यह मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए है।’’
मत्स्य एवं पशुपालन राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल ने कहा कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मुद्दे को निशिकांत दुबे ने लोकसभा में और सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में उठाया था। जिसके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति धनखड़ के खिलाफ ‘अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस राजनीति से प्रेरित’ है। उन्होंने कहा, उपराष्ट्रपति जो कुछ भी करते हैं, वह नियमों के अनुसार निर्णय लेते हैं। ऐसा (नोटिस) नहीं किया जाना चाहिए था।’’
धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के नोटिस के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि सदन परंपरा और परिपाटी के अनुसार चलना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रस्ताव है। मैं जानता हूं कि भाजपा इसे स्वीकार नहीं होने देगी, भले ही उनके पास संख्या बल हो। उन्हें इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सदन को अपनी परंपरा के अनुसार चलना चाहिए, आप केवल पिछले 2-3 वर्षों की सदन की कार्यवाही देख लें और आपको पता चल जाएगा कि सदन कैसे कार्य कर रहा है।’’
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता और राज्यसभा सांसद तिरुचि शिवा ने राज्यसभा के सभापति और उपसभापति पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा में जो हो रहा है वह अप्रत्याशित है। हम इस स्तर पर कभी नहीं आए थे। पीठासीन अधिकारी आते हैं, सत्ता पक्ष, विपक्ष पर प्रहार करता है, व्यक्तिगत हमले किए जाते हैं… ये पूरी तरह से प्रक्रिया के नियमों और कार्य संचालन के खिलाफ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कल भी जब उन्होंने (सत्ता पक्ष) राहुल गांधी का नाम लिया तो मैंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। सभापति ने कहा कि फैसला सुरक्षित रखा गया है। आज भी उन्होंने (सत्तापक्ष) सोनिया गांधी जी के बारे में बात की, आरोप लगाए। जो लोग विपक्षी दलों के खिलाफ बोलना चाहते थे, उन्हें अनुमति दी गई, उन्होंने हममें से किसी को भी बोलने का मौका नहीं दिया।’’
उन्होंने कहा कि जब उपसभापति पीठासीन हुए तो उन्होंने सदन के नेता को सब कुछ बोलने की अनुमति दी लेकिन विपक्ष की तरफ रुख तक नहीं किया।
तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा की उप नेता सागरिका घोष ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के खिलाफ नोटिस किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि संसदीय लोकतंत्र को बचाने का प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि सदन पहले दिन से ही काम करे क्योंकि हम महत्वपूर्ण मुद्दे उठा रहे हैं। टीएमसी कहती रही है कि सदन चलाओ। सरकार सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है। यह सत्ता पक्ष है जो सदन को चलने नहीं दे रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम संसदीय लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं, यह व्यक्तिगत हमला नहीं है, यह संविधान को बचाने की लड़ाई है।
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश
नरेश
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