बधाल (जम्मू-कश्मीर), 18 जनवरी (भाषा) जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के इस सुदूर पर्वतीय गांव के लोग पिछले 45 दिनों में रहस्यमयी परिस्थितियों में एक के बाद एक हुई मौतों से सदमें में हैं तथा उनके चेहरों पर भय और दुख साफ झलक रहा है।
एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि मौत का डर उन्हें पहले कभी इतना नहीं था, यहां तक कि कोविड महामारी के दौरान भी नहीं, या जब आतंकवाद अपने चरम पर था।
अधिकारियों ने मौतों के पीछे किसी संक्रामक बीमारी की आशंका से इनकार किया है।
मामले में, सीएसआईआर-आईआईटीआर (वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान) की अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट में न्यूरोटॉक्सिन की मौजूदगी का खुलासा होने के बाद पुलिस की एक नवगठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने जांच के लिए 60 से अधिक लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।
शुक्रवार को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कोटरंका उप-मंडल के बधाल गांव की स्थिति पर चर्चा के लिए यहां एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की तथा स्वास्थ्य एवं पुलिस विभागों को जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए।
राजौरी जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव के लोग डर के साये में जी रहे हैं और चाहते हैं कि मामले का पर्दाफाश हो। अस्पताल में भर्ती होने के कुछ दिनों के भीतर ही लोगों ने बुखार, दर्द, उबकाई और बेहोशी की शिकायत की और फिर उनकी मौत हो गई। एक लड़की कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती है हालांकि उसकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
एक डॉक्टर के अनुसार, मरीजों के एमआरआई स्कैन से मस्तिष्क में सूजन का पता चला, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क के ऊतकों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के स्थानीय विधायक जाविद इकबाल चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है…मैं लोगों से अपील करता हूं कि अगर किसी के पास कोई जानकारी है, तो कृपया आगे आएं और जांच में सहयोग करें।’’
गांव में मोहम्मद असलम की कृषि भूमि पर एक नया कब्रिस्तान बनाया गया है, जिन्होंने 12 से 17 जनवरी के बीच अपने पांच बच्चों और अपने मामा-मामी को खो दिया था, जिन्होंने उनको गोद लिया था।
सबसे पहले, असलम के रिश्तेदार फजल हुसैन और उसके चार बच्चों की सात दिसंबर को गांव में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। शुरू में माना गया था कि वे भोजन विषाक्तता से मर गए थे क्योंकि परिवार के सदस्य कुछ समय पहले एक शादी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। असलम के चचेरे भाई मोहम्मद रफीक की गर्भवती पत्नी और उसके तीन बच्चों की 12 दिसंबर को मौत हो गई।
चौधरी ने कहा, ‘‘सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ मामले से निपटने का प्रयास कर रही। जम्मू-कश्मीर की बाहर की स्वास्थ्य टीम को भी तैनात किया गया और सभी ग्रामीणों की जांच की गई।’’
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पहले दिन से ही स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। चौधरी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि एसआईटी ने पूछताछ के लिए कुल 68 लोगों को हिरासत में लिया है।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि जांच पूरी होने के बाद सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।
शोकाकुल असलम ने अपने परिवार के खिलाफ किसी ‘‘साजिश’’ की आशंका से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘सैकड़ों लोग दावत में आए, लेकिन पहले केवल हुसैन और उनके बच्चों की मौत हुई। कुछ दिनों बाद मेरे चचेरे भाई की पत्नी और बच्चों की मौत हो गई और फिर मौत मेरे दरवाजे पर आ पहुंची। ऐसा कैसे हो सकता है कि केवल हमारा परिवार ही इस तरह से खत्म हो गया?’’
असलम ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने हुसैन के घर पर भोजन किया था, जहां मौतों के 40वें दिन पर एक विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि गांव वालों में इतना डर समा गया है कि जब वह सदमे में थे तो कई लोग उनसे मिलने से कतराने लगे।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता जहीर अहमद गोरसी ने कहा कि गांव वाले अभी भी इन अकारण मौतों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक नया कब्रिस्तान तैयार किया जा रहा है…यह पूरे गांव के लिए परीक्षा की घड़ी है।’’
असलम के एक रिश्तेदार नाजिम दीन ने कहा, ‘‘इस तरह का खौफ तब भी नहीं था जब आतंकवाद अपने चरम पर था या कोविड-19 महामारी के दौरान भी ऐसा नहीं था। लोग कब्र खोदने के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं।’’
इससे पहले, एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि जांच और नमूनों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि ये घटनाएं जीवाणु या विषाणु जनित संक्रामक बीमारी के कारण नहीं हुई हैं और इसमें जन स्वास्थ्य से जुड़ा कोई पहलू नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘पीड़ितों और ग्रामीणों से लिए गए सभी नमूनों में किसी में भी वायरल या बैक्टीरियोलॉजिकल एटियोलॉजी की पुष्टि नहीं हुई। देश के कुछ सबसे प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं में विभिन्न नमूनों पर परीक्षण किए गए थे।’’
सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा किए गए विष विज्ञान विश्लेषण ने कई जैविक नमूनों में विषाक्त पदार्थों का पता लगाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन इस स्थिति को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ देख रहा है। अब्दुल्ला ने पूर्व में कहा था, ‘‘हमारे लोगों का स्वास्थ्य और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। सरकार इस संकट को हल करने और प्रभावित परिवारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’
भाषा आशीष पवनेश
पवनेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)