उपसभापति के फैसले में मेरी बातों को तथ्यों के साथ नहीं रखा गया: रमेश |

उपसभापति के फैसले में मेरी बातों को तथ्यों के साथ नहीं रखा गया: रमेश

उपसभापति के फैसले में मेरी बातों को तथ्यों के साथ नहीं रखा गया: रमेश

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Modified Date: December 19, 2024 / 07:32 PM IST
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Published Date: December 19, 2024 7:32 pm IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने तथ्यों के अभाव से जुड़ी उनकी जिन बातों को लेकर उनसे माफी मांगी थी, उन्हीं का संदर्भ ‘अविश्वास प्रस्ताव’ से संबंधित उपसभापति हरिवंश के फैसले में देखने को मिला।

रमेश ने 14 दिसंबर, 2024 को धनखड़ को लिखे पत्र को ‘एक्स’ पर साझा किया और कहा कि वह इस पत्र को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य हुए हैं क्योंकि उपसभापति के फैसले में वही ‘गलती’ देखने को मिली, जिनको लेकर धनखड़ ने उनसे बात को दबाने और भूल जाने के लिए कहा था।

उनका कहना था कि 12 दिसंबर, 2024 को एक संवाददाता सम्मेलन में उनकी टिप्पणी को लेकर धनखड़ ने उच्च सदन में हवाला दिया तो उसमें तथ्यों का अभाव था। इसके बाद उन्होंने इस बात को सभापति के समक्ष उठाया था

कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियों द्वारा सभापति के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज राज्यसभा के उपसभापति के फ़ैसले में 12 दिसंबर, 2024 को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मेरी ओर से की गई कुछ टिप्पणियों का संदर्भ दिया गया है। इस संदर्भ में तथ्यों को पूर्ण रूप से नहीं रखा गया है।’’

उनका कहना था, ‘‘इस संबंध में मैंने 14 दिसंबर को सभापति को पत्र लिखा था। सभापति ने मुझे दो बार, 17 और 18 दिसंबर को स्पष्ट रूप से कहा कि मैंने पत्र में जो कहा है, वह उससे सहमत हैं। उन्होंने मुझसे कहा था कि जो कुछ उन्होंने कहा था उसे मैं भूल जाऊं और पत्र को यहीं दबा दूं। पत्र में कही गई बातें केवल उनके संस्मरणों में रहेंगी। वास्तव में, उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगी थी।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मैंने फ़ैसला कर लिया था कि इस मामले को शांत रहने दूंगा, लेकिन अब मुझे उपसभापति के फ़ैसले में वही गलत बात देखने को मिली है जिसका केवल एक ही स्रोत हो सकता है।’’

रमेश ने कहा, ‘‘इसलिए, मैं 14 दिसंबर के अपने पत्र को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य हूं। पूरे दस्तावेज को यहां देखा जा सकता है।’’

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बृहस्पतिवार को विपक्ष का वह नोटिस खारिज कर दिया जिसमें पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन के संचालन का आरोप लगाते हुए सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने की मांग की गई थी। राज्यसभा के महासचिव पी सी मोदी ने उच्च सदन में यह घोषणा की।

हरिवंश ने अपने फैसले में रमेश का हवाला देते हुए कहा कि सभापति के खिलाफ पूरा अभियान कांग्रेस के मख्य सचेतक (रमेश) के इस बात के जोर देने से आरंभ हुआ है कि , ‘‘जैसा आप जानते हैं कि कल….एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, उस पर अभी तक क्या कार्यवाही हुई, इसकी कोई जानकारी नहीं है।’’

उपसभापति ने 12 दिसंबर के संवाददाता सम्मेलन में रमेश के बयान के कुछ अंश का हवाला दिया।

भाषा हक हक अविनाश

अविनाश

 

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